पद्मनाभस्वामी मंदिर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "नक्काशी" to "नक़्क़ाशी")
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
Line 21: Line 21:
===<u>विशेषता</u>===
===<u>विशेषता</u>===
पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने ([[15 मार्च]]- [[14 अप्रैल]]) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने ([[अक्टूबर]] - [[नवंबर]]) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=383 |title=देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर |accessmonthday=[[21 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref>
पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने ([[15 मार्च]]- [[14 अप्रैल]]) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने ([[अक्टूबर]] - [[नवंबर]]) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=383 |title=देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर |accessmonthday=[[21 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref>
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=

Revision as of 12:44, 10 January 2011

तिरुअनंतपुरम तिरुअनंतपुरम पर्यटन तिरुअनंतपुरम ज़िला

[[चित्र:Padmanabhaswami-Temple-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
Padmanabhaswami Temple, Thiruvananthapuram]]

  • केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में कई पर्यटन स्थल हैं जिनमें से एक पद्मनाभ स्वामी मंदिर हैं।
  • तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे प्रमुख केंद्र है।
  • यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल है।
  • सन 1733 ई. में इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था।

मान्यता

यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी पद्मनाभ स्वामी मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पूर्वी किले के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसका अहसास इसका सात मंजिला गोपुरम देखकर हो जाता है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' कहते हैं। इसके आसपास ख़परैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं।

गणवेष

यहाँ दर्शन के लिए विशेष गणवेष है। मंदिर में प्रवेश पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं।

गर्भगृह

गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है। यहाँ भगवान अनंतशैया अर्थात सहस्त्रमुखी शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को पद्मानाभ एवं अनंतशयनम भी कहा जाता है। यहाँ दर्शन तीन हिस्सों में होते हैं।

  1. पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं।
  2. दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं।
  3. तीसरे भाग में भगवान के श्री चरणों के दर्शन होते हैं।

शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन गरुड़ की आकृति बनी है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। पौराणिक घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते है, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते है। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक़्क़ाशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं।

विशेषता

पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने (15 मार्च- 14 अप्रैल) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने (अक्टूबर - नवंबर) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2010

संबंधित लेख