गेंदा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "फसल" to "फ़सल")
m (Text replace - " मे " to " में ")
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Marigold.jpg|thumb|250px|गेंदा का फूल<br />Marigold Flower]]
[[चित्र:Marigold.jpg|thumb|250px|गेंदा का फूल<br />Marigold Flower]]
मैक्सिको तथा दक्षिण [[अमेरिका]] मूल का गेंदा [[भारत के पुष्प|पुष्प]] [[भारत]] के विभिन्न भागों में, विशेषकर मैदानों में व्यापक स्तर पर उगाया जा रहा है। गेंदा का वैज्ञानिक नाम टैजेटस स्पीसीज है। हमारे देश में गेंदे के लोकप्रिया होने का कारण है इसका विभिन्न भौगोलिक जलवायु में सुगमतापूर्वक उगाया जा सकना। मैदानी क्षेत्रों में गेंदे की तीन फ़सलें उगायी जाती है, जिससे लगभग पूरे वर्ष उसके फूल उपलब्ध रहते है। उत्तर [[भारत]] के राज्य [[हिमाचल प्रदेश]] मे छोटे किसान भी गेदें की फ़सलों को सजावट तथा मालाओं के लिए करते हैं उगाते है। गेंदे के पुष्प को सजावट हेतु, उपयोग में लाया जाता है।
मैक्सिको तथा दक्षिण [[अमेरिका]] मूल का गेंदा [[भारत के पुष्प|पुष्प]] [[भारत]] के विभिन्न भागों में, विशेषकर मैदानों में व्यापक स्तर पर उगाया जा रहा है। गेंदा का वैज्ञानिक नाम टैजेटस स्पीसीज है। हमारे देश में गेंदे के लोकप्रिया होने का कारण है इसका विभिन्न भौगोलिक जलवायु में सुगमतापूर्वक उगाया जा सकना। मैदानी क्षेत्रों में गेंदे की तीन फ़सलें उगायी जाती है, जिससे लगभग पूरे वर्ष उसके फूल उपलब्ध रहते है। उत्तर [[भारत]] के राज्य [[हिमाचल प्रदेश]] में छोटे किसान भी गेदें की फ़सलों को सजावट तथा मालाओं के लिए करते हैं उगाते है। गेंदे के पुष्प को सजावट हेतु, उपयोग में लाया जाता है।


==सुगंध==  
==सुगंध==  
Line 9: Line 9:


==गेंदे का विवरण==
==गेंदे का विवरण==
गेंदे को विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती मुख्य रूप से बडे़ शहरो के पास जैसेः [[मुम्बई]], [[पुणे]], [[बैंगलोर]], [[मैसूर]], [[चेन्नई]], [[कलकत्ता]] और [[दिल्ली]] मे होती है। उचित वानस्पतिक बढ़वार और फूलों के समुचित विकास के लिए धूप वाला वातावरण सर्वोत्तम माना गया है। उचित जल निकास वाली बलूवार दोमट भूमि इसकी खेती के  लिए उचित मानी गई है। [[भारत]] मे 1,10,000 हैक्टेयर क्षेत्रफल मे इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती करने वाले मुख्य राज्य [[कर्नाटक]], [[तमिलनाडु]], [[पश्चिम बंगाल]], [[आंध्र प्रदेश]] और [[महाराष्ट्र]] है। पारम्परिक फूल जिनके गेंदा का लालबाग़ तीन चौथाई भाग है। जिस भूमि का पी.एच.मान 7 से 7.5 के बीच हो, वह भूमि गेंदें की खेती के लिए अच्छी रहती है। क्षारीय व अम्लीय मृदाए इसकी खेती के लिए बाधक पायी गई है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in:9000/wordpress/index.php/%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80 |title=गेंदा की खेती |accessmonthday=[[25 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=नई दिशाएँ |language=हिन्दी }}</ref>  
गेंदे को विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती मुख्य रूप से बडे़ शहरो के पास जैसेः [[मुम्बई]], [[पुणे]], [[बैंगलोर]], [[मैसूर]], [[चेन्नई]], [[कलकत्ता]] और [[दिल्ली]] में होती है। उचित वानस्पतिक बढ़वार और फूलों के समुचित विकास के लिए धूप वाला वातावरण सर्वोत्तम माना गया है। उचित जल निकास वाली बलूवार दोमट भूमि इसकी खेती के  लिए उचित मानी गई है। [[भारत]] में 1,10,000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती करने वाले मुख्य राज्य [[कर्नाटक]], [[तमिलनाडु]], [[पश्चिम बंगाल]], [[आंध्र प्रदेश]] और [[महाराष्ट्र]] है। पारम्परिक फूल जिनके गेंदा का लालबाग़ तीन चौथाई भाग है। जिस भूमि का पी.एच.मान 7 से 7.5 के बीच हो, वह भूमि गेंदें की खेती के लिए अच्छी रहती है। क्षारीय व अम्लीय मृदाए इसकी खेती के लिए बाधक पायी गई है।<ref>{{cite web |url=http://opaals.iitk.ac.in:9000/wordpress/index.php/%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80 |title=गेंदा की खेती |accessmonthday=[[25 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=नई दिशाएँ |language=हिन्दी }}</ref>  


==बीज==
==बीज==

Revision as of 07:54, 20 February 2011

thumb|250px|गेंदा का फूल
Marigold Flower
मैक्सिको तथा दक्षिण अमेरिका मूल का गेंदा पुष्प भारत के विभिन्न भागों में, विशेषकर मैदानों में व्यापक स्तर पर उगाया जा रहा है। गेंदा का वैज्ञानिक नाम टैजेटस स्पीसीज है। हमारे देश में गेंदे के लोकप्रिया होने का कारण है इसका विभिन्न भौगोलिक जलवायु में सुगमतापूर्वक उगाया जा सकना। मैदानी क्षेत्रों में गेंदे की तीन फ़सलें उगायी जाती है, जिससे लगभग पूरे वर्ष उसके फूल उपलब्ध रहते है। उत्तर भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश में छोटे किसान भी गेदें की फ़सलों को सजावट तथा मालाओं के लिए करते हैं उगाते है। गेंदे के पुष्प को सजावट हेतु, उपयोग में लाया जाता है।

सुगंध

इसकी सुगंध बहुत मंद गंध, कस्तूरी गंध, लकड़ी जैसी होती है।

इतिहास

16वीं शताब्दी की शुरूआत में ही गेंदा, मैक्सिको से विश्व के अन्य भागों में प्रसारित हुआ। गेंदे के पुष्प का वैज्ञानिक नाम 'टैजेटस' एक गंधर्व टैजस के नाम पर पड़ा है जो अपने सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध था। अफ्रीकन गेंदे का स्पेन में सर्वप्रथम प्रवेश सोलहवीं शताब्दी में हुआ और यह 'रोज आफ दी इंडीज' नाम से समस्त दक्षिणी यूरोप में प्रसिद्ध हुआ। फ्रेंच गेंदे का भी विश्व में प्रसार अफ्रीकन गेंदे की भांति ही हुआ।[1]

गेंदे का विवरण

गेंदे को विभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती मुख्य रूप से बडे़ शहरो के पास जैसेः मुम्बई, पुणे, बैंगलोर, मैसूर, चेन्नई, कलकत्ता और दिल्ली में होती है। उचित वानस्पतिक बढ़वार और फूलों के समुचित विकास के लिए धूप वाला वातावरण सर्वोत्तम माना गया है। उचित जल निकास वाली बलूवार दोमट भूमि इसकी खेती के लिए उचित मानी गई है। भारत में 1,10,000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती करने वाले मुख्य राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र है। पारम्परिक फूल जिनके गेंदा का लालबाग़ तीन चौथाई भाग है। जिस भूमि का पी.एच.मान 7 से 7.5 के बीच हो, वह भूमि गेंदें की खेती के लिए अच्छी रहती है। क्षारीय व अम्लीय मृदाए इसकी खेती के लिए बाधक पायी गई है।[2]

बीज

संकर किस्मों में 700-800 ग्राम बीज प्रति हेक्टर तथा अन्य किस्मों में लगभग 1.25 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टर पर्याप्त होता है। उत्तर प्रदेश में बीज मार्च से जून, अगस्त-सितंबर में बुवाई की जाती है |

गेंदे का पौधा

गेंदा के पौधे की ऊँचाई लगभग 60 सेंटीमीटर होती है। इसके फूल गुलबहार की तरह चमकीले नारंगी से पीले रंग के होती है। इसकी पत्तियाँ हल्के हरे रंग की होती है। यह दक्षिणी यूरोप में पाई जाने वाली फूलों की किस्म है। लेकिन उत्तरी क्षेत्रों में भी इसे आसानी से उत्पन्न किया जाता है।[3]

गेंदे के फ़ायदे

  • गेंदे की पत्तियों का पेस्ट फोड़े के उपचार में भी प्रयोग होता है। कान दर्द के उपचार में भी गेंदे की पत्तियों का सत्व उपयोग होता है।
  • पुष्प सत्व को रक्त स्वच्छक, बवासीर के उपचार तथा अल्सर और नेत्र संबंधी रोगों में उपयोगी माना जाता है।
  • टैजेटस की विभिन्न प्रजातियों में उपलब्ध तेल, इत्र उद्योग में प्रयोग किया जाता है।
  • गेंदा जलन को नष्ट करने वाला, मरोड़ को कम करने वाला, कवक को नष्ट करने वाला, पसीना लाने वाला, आर्तवजनकात्मक होता है। इसे टॉनिक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसके उपयोग से दर्द युक्त मासिक स्त्राव, एक्जिमा, त्वचा के रोग, गठिया, मुँहासे, कमज़ोर त्वचा और टूटी हुई कोशिकाओं में लाभ होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गेंदा (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2010
  2. गेंदा की खेती (हिन्दी) नई दिशाएँ। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2010
  3. गेंदा (हिन्दी) जनकल्याण। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2010

संबंधित लेख