आक्रन्द: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "ते है।" to "ते हैं।") |
||
Line 6: | Line 6: | ||
|पर्यायवाची=आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़ | |पर्यायवाची=आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़ | ||
|संस्कृत='''आक्रन्द''' [आ+क्रन्द्+घञ्] रोना, चिल्लाना, पुकारना, आह्वान करना, शब्द, चिल्लाहट, मित्र रक्षक, भाई, रोने का स्थान | |संस्कृत='''आक्रन्द''' [आ+क्रन्द्+घञ्] रोना, चिल्लाना, पुकारना, आह्वान करना, शब्द, चिल्लाहट, मित्र रक्षक, भाई, रोने का स्थान | ||
|अन्य ग्रंथ=वास्तु विचार [[नारद पुराण]] में बताया गया है कि घर के छ: भेद होते है,इनमें एक शाला, द्विशाला, त्रिशाला, चतुष्शाला, सप्तशाला और दसशाला है। इन दसों शालाओं में प्रत्येक के 16 भेद होते | |अन्य ग्रंथ=वास्तु विचार [[नारद पुराण]] में बताया गया है कि घर के छ: भेद होते है,इनमें एक शाला, द्विशाला, त्रिशाला, चतुष्शाला, सप्तशाला और दसशाला है। इन दसों शालाओं में प्रत्येक के 16 भेद होते हैं। ध्रुव, धान्य, जय, नन्द, खर, कान्त, मनोरम, सुमुख, दिर्मुख, क्रूर, शत्रुद, स्वर्णद, क्षय, '''आक्रन्द''', विपुल और विजय <ref>{{cite web |url=http://astrobhadauria.wikidot.com/vastu |title=वास्तु विचार नारद-पुराण से|accessmonthday=10 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format= |publisher=Free Astrology|language=हिन्दी}}</ref> | ||
}} | }} | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
<references/> | <references/> | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 08:12, 20 February 2011
हिन्दी | ज़ोर से विलाप, रुदन, ज़ोर की आवाज़, घोष, कोलाहल, शोर, ऊँचे स्वर से की गयी पुकार। |
-व्याकरण | धातु, पुल्लिंग |
-उदाहरण | हनुमान जी के द्वारा लंका में अपनी पूँछ से आग लगाने के कारण लंका के लोग आक्रन्द करने लगे। |
-विशेष | तासाम आक्रन्द शब्देन सहसॊद्गतचेतने कौसल्या च सुमित्राच तयक्तनिद्रे बभूवतुः [1] |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | आर्तनाद, करुण, पुकार, क्रोश, चिल्लाहट, चीख़, रोना धोना, विलाप, शोर, आडंबर, गर्जन, दहाड़, आवाहन, आराव, आवाज़ |
संस्कृत | आक्रन्द [आ+क्रन्द्+घञ्] रोना, चिल्लाना, पुकारना, आह्वान करना, शब्द, चिल्लाहट, मित्र रक्षक, भाई, रोने का स्थान |
अन्य ग्रंथ | वास्तु विचार नारद पुराण में बताया गया है कि घर के छ: भेद होते है,इनमें एक शाला, द्विशाला, त्रिशाला, चतुष्शाला, सप्तशाला और दसशाला है। इन दसों शालाओं में प्रत्येक के 16 भेद होते हैं। ध्रुव, धान्य, जय, नन्द, खर, कान्त, मनोरम, सुमुख, दिर्मुख, क्रूर, शत्रुद, स्वर्णद, क्षय, आक्रन्द, विपुल और विजय [2] |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ The Ramayana In Sanskrit (रामायण) (संस्कृत) (एचटीएम) The Internet Sacred Text Archive। अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2010।
- ↑ वास्तु विचार नारद-पुराण से (हिन्दी) Free Astrology। अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2010।