आभीर गण: Difference between revisions
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*ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था। | *ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था। | ||
*ईसवीं तीसरी शताब्दी में आभीर राजाओं ने [[सातवाहन राजवंश]] के पराभव में | *ईसवीं तीसरी शताब्दी में आभीर राजाओं ने [[सातवाहन राजवंश]] के पराभव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। | ||
*[[समुद्रगुप्त]] के [[इलाहाबाद]] के स्तम्भ लेख में आभीरों का उल्लेख उन गणों के साथ किया गया है, जिन्होंने [[गुप्त]] सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली थी। | *[[समुद्रगुप्त]] के [[इलाहाबाद]] के स्तम्भ लेख में आभीरों का उल्लेख उन गणों के साथ किया गया है, जिन्होंने [[गुप्त]] सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली थी। | ||
Revision as of 12:53, 6 April 2011
- आभीर गण का उल्लेख पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है।
- वे सिन्धु नदी के निचले काँठे और पश्चिमी राजस्थान में रहते थे।
- 'पेरिप्लस' नामक ग्रन्थ तथा टालेमी के भूगोल में भी आभीर गण का उल्लेख है।
- ईसा की दूसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आभीर राजा पश्चिमी भारत के शक शासकों के अधीन थे।
- ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था।
- ईसवीं तीसरी शताब्दी में आभीर राजाओं ने सातवाहन राजवंश के पराभव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- समुद्रगुप्त के इलाहाबाद के स्तम्भ लेख में आभीरों का उल्लेख उन गणों के साथ किया गया है, जिन्होंने गुप्त सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ