मन्त्र: Difference between revisions

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[[चित्र:Gayatri-Mantra.jpg|thumb|गायत्री मन्त्र]]

  • वैदिक संहिताओं में गायक के विचारों की उपज, ऋचा, छन्द, स्तुति को मन्त्र कहा गया है।
  • ब्राह्मणों में ऋषियों के गद्य या पद्यमय कथनों को मन्त्र कहा गया है।
  • साधारणत: किसी भी वैदिक सूक्त अथवा यज्ञोय निरूपणों को मन्त्र कहते हैं, जो ऋक, साम और यजुष कहलाते हैं।
  • ये वेदों के ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद भाग से भिन्न हैं।
  • किसी देवता के प्रति समर्पित सूक्ष्म प्रार्थना को भी मन्त्र कहते हैं, यथा- शैव सम्प्रदाय का मन्त्र नम: शिवाय और भागवत सम्प्रदाय का नमो भगवते वासुदेवाय
  • शाक्त और तान्त्रिक सम्प्रदायों में अनेक सूक्ष्म और रहस्यमय वाक्यों, शब्दखण्डों और अक्षरों का प्रयोग होता है। उन्हें भी मन्त्र कहते हैं और विश्वास किया जाता है कि उनसे महान शक्तियाँ और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ