एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता: Difference between revisions

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Revision as of 11:53, 7 June 2011

  • सुप्रसिद्ध अंग्रेज भारतविद् विलियम जोंस (1747-94) ने एशिया के समाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा साहित्य की खोज के उद्देश्य से 1784 एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता की नींब रखी थी। दो सौ वर्ष पुरानी यह संस्था भारत में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्त्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई। *सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हजार पुस्त्कों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं।
  • सोसायटी अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सम्पादन तथा पत्रिकाएं, बिबलोथिका इण्डिका, मोनोग्राफ तथा अदालती कार्यवाहियों की विभिन्न श्रृंखलाएं और जीवनवृत्त तथा भाषण शामिल है।
  • मार्च 1984 में संसद के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्टीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है।
  • पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक पर्यटन स्थल है।
  • इसमें एशिया का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
  • इसके संग्रहालय की स्‍थापना 1814 ई. में हुई थी।
  • लेकिन इसके संग्रह की अधिकांश वस्‍तुएं अब 'इंडियन म्‍युज़ियम' में रख दी गई हैं।
  • यहाँ अब देखने योग्‍य वस्‍तुओं का छोटा संग्रह ही है।
  • इन्‍हीं वस्‍तुओं में तिब्‍बतियन थंगस तथा अशोक का प्रसिद्ध शिलास्‍तंभ भी है।


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