त्रिवेणी नगर बिहार: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "ते है।" to "ते हैं।") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[नेपाल]] सीमा से सटा यह जगह शहर से उत्तर-पश्चिम में बगहा प्रखण्ड के अर्न्तगत आता है। इस जगह पर गंडक, पंचानंद और सोनहा नदी आपस में मिलती है। (श्रीमद भगवत के अनुसार) माना जाता है कि हज़ारों साल पहले इसी जगह पर गज ([[हाथी]]) और ग्रह (मगरमच्छ) की लड़ाई हुई थी और भगवान [[विष्णु]] ने प्रकट होकर हाथी की रक्षा की थी। उसके बाद से माघ संक्राति के दिन यहाँ हरेक साल एक विशाल मेला लगता है और इस दिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। | [[नेपाल]] सीमा से सटा यह जगह शहर से उत्तर-पश्चिम में बगहा प्रखण्ड के अर्न्तगत आता है। इस जगह पर गंडक, पंचानंद और सोनहा नदी आपस में मिलती है। (श्रीमद भगवत के अनुसार) माना जाता है कि हज़ारों साल पहले इसी जगह पर गज ([[हाथी]]) और ग्रह (मगरमच्छ) की लड़ाई हुई थी और भगवान [[विष्णु]] ने प्रकट होकर हाथी की रक्षा की थी। उसके बाद से माघ संक्राति के दिन यहाँ हरेक साल एक विशाल मेला लगता है और इस दिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। | ||
{{प्रचार}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{बिहार के नगर}} | {{बिहार के नगर}} |
Revision as of 11:13, 15 June 2011
नेपाल सीमा से सटा यह जगह शहर से उत्तर-पश्चिम में बगहा प्रखण्ड के अर्न्तगत आता है। इस जगह पर गंडक, पंचानंद और सोनहा नदी आपस में मिलती है। (श्रीमद भगवत के अनुसार) माना जाता है कि हज़ारों साल पहले इसी जगह पर गज (हाथी) और ग्रह (मगरमच्छ) की लड़ाई हुई थी और भगवान विष्णु ने प्रकट होकर हाथी की रक्षा की थी। उसके बाद से माघ संक्राति के दिन यहाँ हरेक साल एक विशाल मेला लगता है और इस दिन हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं।