हनुमानगढ़: Difference between revisions
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हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर [[कपास]] और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में [[रबी]] की मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- [[चना]], [[सरसों]], [[गेहूँ]], [[अरंड]] और [[तारामीरा]] की फसलें हैं. और [[खरीफ]] की भी कई मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- [[नरमा]], [[कपास]], [[ग्वार]], [[मूंग]], [[मोठ]], [[बाजरा]] और [[ज्वार]] की फसलें हैं। घग्घर नदी इलाके की एकमात्र नदी है। [[इंदिरा गांधी]] फीडर यहाँ की प्रमुख नहर है। [[भाखरा]] और [[गंग कैनाल]] यहाँ की अन्य नहरें हैं। | हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर [[कपास]] और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में [[रबी]] की मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- [[चना]], [[सरसों]], [[गेहूँ]], [[अरंड]] और [[तारामीरा]] की फसलें हैं. और [[खरीफ]] की भी कई मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- [[नरमा]], [[कपास]], [[ग्वार]], [[मूंग]], [[मोठ]], [[बाजरा]] और [[ज्वार]] की फसलें हैं। घग्घर नदी इलाके की एकमात्र नदी है। [[इंदिरा गांधी]] फीडर यहाँ की प्रमुख नहर है। [[भाखरा]] और [[गंग कैनाल]] यहाँ की अन्य नहरें हैं। | ||
==उद्योग और व्यापार== | ==उद्योग और व्यापार== |
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thumb|250px|हनुमानगढ़
Hanumangarh
हनुमानगढ़ / Hanumangarh
परिचय
हनुमानगढ़ को सादुलगढ़ भी कहते है्। यह नगर, उत्तर राजस्थान, पश्चिमोत्तर भारत, में घग्घर नदी के दाऐं तट पर स्थित है। यह बीकानेर से 144मील उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। भटनेर भट्टीनगर का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है।
स्थिति
बीकानेर राज्य के दो प्रमुख क़िलों में से हनुमानगढ़ दूसरा क़िला है। यह क़िला लगभग 52 बीघे भूमि में फैला हुआ है और ईंटों से सुद्दुढ़ बना है। चारों ओर की दीवारों पर बुर्जियाँ बनी हैं। क़िले का एक द्वार कुछ अधिक पुराना प्रतीत होता है। प्रधान प्रवेश द्वार पर संगमरमर के काम के चिह्म अब तक विद्यमान है। कहा जाता है कि इस क़िले में कई गुम्बदाकार इमारतें बनी थी पर अब वह नहीं है। क़िले के एक द्वार के पत्थर पर 1620 ई० खुदी है। उसके नीचे राजा का नाम व 6 रानियों की आकृतियाँ भी बनी हैं जो अब स्पष्ट नही हैं। क़िले के भीतर का जैन उपासरा प्राचीन है। क़िले में एक लेख फ़ारसी लिपि में लगा है, जिससे बताया जाता है कि यह बादशाह की आज्ञा से कद्दवाहा राय मनोहर ने संवत् 1665 (1608 ई०) में वहाँ मनोहर पोल नाम का दरवाजा बनवाया।
इतिहास
पहले हनुमानगढ़ को भटनेर (भट्टी राजपूतों का दुर्ग) कहा जाता था। 1805 में बीकानेर रियासत में शामिल किये जाने के बाद इसको हनुमानगढ़ का नाम दिया गया था। 1398 में मंगोल विजेता तैमूरलंग ने दुर्ग सहित इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उसके बाद से इस पर विभिन्न शासकों का अधिकार रहा है। हनुमानगढ़ किसने बसाया है, इसका ठीक से पता नही चलता। पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई० में बीकानेर के चौथे शासक राव जैतसिंह ने यहाँ राठौड़ों का अधिपत्य स्थापित कर दिया।11 वर्ष के बाद बाबर के पुत्र कामरां ने इसे जीता। फिर कुछ दिनों तक चायलों का अधिकार रहा, जिनसे पुन: राठौड़ों ने इसे जीत लिया। फिर बाद में यह मुग़ल क़ब्ज़े में चला गया। बीच में कई बार अधिकारियों में परिवर्तन हुए। अंत में सूरत सिंह के समय 1805 ई० में ५ माह के विकट घेरे के बाद राठौड़ों ने इसे ज़ाबता खाँ भट्टी से छीना और यहाँ बीकानेर राज्य का एकाधिकार हुआ। मंगलवार के दिन अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया।
यातायात और परिवहन
हनुमानगढ़ रेलमार्ग द्वारा बीकानेर, जोधपुर और गंगानगर से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल व सड़क द्वारा दो प्रकार के यातायात के साधन उपलब्ध हैं।
कृषि और खनिज
[[चित्र:Hanuman-Statue-Hanumangarh.jpg|हनुमानजी की मूर्ति, हनुमानगढ़
Hanuman Ji Statue, Hanumangarh|thumb|250px|left]]
हनुमानगढ़ एक कृषि विपणन केंद्र है, जहाँ हथकरघा पर कपास और ऊन की बुनाई होती है। हनुमानगढ़ में रबी की मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- चना, सरसों, गेहूँ, अरंड और तारामीरा की फसलें हैं. और खरीफ की भी कई मुख्य फसलें पायी जाती हैं। जैसे- नरमा, कपास, ग्वार, मूंग, मोठ, बाजरा और ज्वार की फसलें हैं। घग्घर नदी इलाके की एकमात्र नदी है। इंदिरा गांधी फीडर यहाँ की प्रमुख नहर है। भाखरा और गंग कैनाल यहाँ की अन्य नहरें हैं।
उद्योग और व्यापार
हनुमानगढ़ में पकी हुई मिट्टी की बड़ी सुन्दर मुर्तियाँ बनाई जाती हैं। हनुमानगढ़ में अधिकतर इन्हीं मूर्तियों का व्यवसाय होता है।
शिक्षण संस्थान
यहाँ राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध नेहरू मेमोरियल लॉ कॉलेज और सरस्वती कन्या महाविद्यालय समेत कई कॉलेज हैं।
जनसंख्या
हनुमानगढ़ नगर की जनसंख्या (2001) 1,29,654; है। और हनुमानगढ़ ज़िले की कुल जनसंख्या 15,17,390 है।
पर्यटन
यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम भटनेर था। मंगलवार के दिन अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया। घग्घर के आस-पास का प्रदेश होने के कारण यह बीकानेर का संपन्न भाग था तथा यहां शिल्पकला एवं हस्तकला का काफी विकास हुआ।
आदर्श स्थल
- गुरुद्वारा सुखासिंह महताबसिंह यहाँ पर दो भाई सुखासिंह व भाई महताबसिंह ने गुरुद्वारा हरिमंदर साहब पर अमृतसर में मस्सा रंघङ का सिर कलम कर बुडा जोहङ लौटते समय इस स्थान पर रुक कर घोङों को पेङ से बांध कर कुछ देर आराम किया था।
- भटनेर यह हनुमानगढ़ टाऊन में स्थित प्राचीन क़िला है।
- गोगामेडी हिंदू और मुस्लिम दोनों में समान रूप से मान्य गोगा/जाहर पीर कि समाधी है, जहाँ पर पशुओं का मेला भी भाद्रपद माह में लगता है।
- कालीबंगा यहाँ पर ५००० ईसा पूर्व कि सिन्धु घाटी सभ्यता का केंद्र है जहाँ एक म्यूजियम भी है।
- नोहर सन् १७३० में यहाँ दसवें गुरु गोविन्द सिंह के आगमन पर बना कबूतर साहिब का गुरुद्वारा है तथा यह मिट्टी के बने बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है्।
- तलवाङा झील यहाँ पर पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच तराइन का युद्घ लड़ा गया था।
- मसीतां वाली हेड जहाँ से इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान में प्रवेश करती है।
- सिल्ला माता मंदिर यहाँ पर यह माना जाता है कि मंदिर में स्थापित सिल्ल पत्थर घग्घर नदी में बहकर आया था।
- भद्र्काली मंदिर यह घग्घर नदी के किनारे बना एक प्राचीन मंदिर है।