संविधान संशोधन- 74वाँ: Difference between revisions
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*इसके परिणामस्वरूप, शहरी स्थानीय निकाय एक स्वायत्तशासी सरकार की जीवंत लोकतांत्रित इकाई के रूप में कारगर ढ़ग से कम नहीं कर पा रहे हैं। | *इसके परिणामस्वरूप, शहरी स्थानीय निकाय एक स्वायत्तशासी सरकार की जीवंत लोकतांत्रित इकाई के रूप में कारगर ढ़ग से कम नहीं कर पा रहे हैं। |
Revision as of 13:36, 4 September 2011
भारत का संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम,1993
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- अनेक राज्यों के विभिन्न कारणों से स्थानीय निकाय कमज़ोर और बेअसर हो गए हैं।
- इनमें नियमित चुनाव न होना, लंबे समय तक भंग रहना और कर्तव्यों तथा अधिकारों का समुचित हस्तांतरण न होना शामिल हैं।
- इसके परिणामस्वरूप, शहरी स्थानीय निकाय एक स्वायत्तशासी सरकार की जीवंत लोकतांत्रित इकाई के रूप में कारगर ढ़ग से कम नहीं कर पा रहे हैं।
- इन खामियों को देखते हुए संविधान में पालिकाओं के संबंध में एक नया भाग 9 ए शामिल किया गया है, ताकि अन्य चीजों के अलावा निम्नलिखित प्रावधान किए जा सकें: तीन तरह की पालिकाओं का गठन, जैसे कि ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो रहे क्षेत्रों के लिए नगर पंचायतों, छोटे शहरी क्षेत्रों के लिए नगर परिषदें और बड़े शहरी क्षेत्रों के लिए नगर निगम।
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