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'''मिथिला / Mithila'''
*यह वर्तमान में उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाक़ा है जिसे मिथिला या मिथिलांचल के नाम से जाना जाता था। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परंपरा के लिये भारत और भारत के बाहर जाना जाता रहा है। इस इलाके की प्रमुख भाषा मैथिली है। धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका उल्लेख [[रामायण]] में मिलता है। बिहार-नेपाल सीमा पर विदेह (तिरहुत) का प्रदेश जो कोसी और गंडकी नदियों के बीच में स्थित है। इस प्रदेश की प्राचीन राजधानी [[जनकपुर]] में थी। <br />
*यह वर्तमान में उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाक़ा है जिसे मिथिला या मिथिलांचल के नाम से जाना जाता था। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परंपरा के लिये भारत और भारत के बाहर जाना जाता रहा है। इस इलाके की प्रमुख भाषा मैथिली है। धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका उल्लेख [[रामायण]] में मिलता है। बिहार-नेपाल सीमा पर विदेह (तिरहुत) का प्रदेश जो कोसी और गंडकी नदियों के बीच में स्थित है। इस प्रदेश की प्राचीन राजधानी [[जनकपुर]] में थी। <br />
*रामायण-काल में यह जनपद बहुत प्रसिद्ध था तथा [[सीता]] के पिता [[जनक]] का राज्य इसी प्रदेश में था। मिथिला जनकपुर को भी कहते थे।<ref>’तत: परमसत्कारं सुमते प्राप्य राघवौ, उप्यतत्र निश:मेकां जग्मतु: मिथिला तत:<br /> तां द्दष्टवा मुनय: सर्वे जनकस्य पुरीं शुभाम् साधुसाध्वतिशंसन्तो मिथिलां संपूजयन्।<br /> मिथिल पवने तत्र आश्रमं द्दश्य राघव:<br />, पुराण निजने रम्यं प्रयच्छ मुनिपुंगवम्’<br />,  दे॰ [[वाल्मीकि रामायण]] [[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकाण्ड]] 48-49</ref> अहिल्याश्रम मिथिला के सन्निकट स्थित था।<br />  
*रामायण-काल में यह जनपद बहुत प्रसिद्ध था तथा [[सीता]] के पिता [[जनक]] का राज्य इसी प्रदेश में था। मिथिला जनकपुर को भी कहते थे।<ref>’तत: परमसत्कारं सुमते प्राप्य राघवौ, उप्यतत्र निश:मेकां जग्मतु: मिथिला तत:<br /> तां द्दष्टवा मुनय: सर्वे जनकस्य पुरीं शुभाम् साधुसाध्वतिशंसन्तो मिथिलां संपूजयन्।<br /> मिथिल पवने तत्र आश्रमं द्दश्य राघव:<br />, पुराण निजने रम्यं प्रयच्छ मुनिपुंगवम्’<br />,  दे॰ [[वाल्मीकि रामायण]] [[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकाण्ड]] 48-49</ref> अहिल्याश्रम मिथिला के सन्निकट स्थित था।<br />  

Revision as of 05:30, 16 May 2010

  • यह वर्तमान में उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाक़ा है जिसे मिथिला या मिथिलांचल के नाम से जाना जाता था। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परंपरा के लिये भारत और भारत के बाहर जाना जाता रहा है। इस इलाके की प्रमुख भाषा मैथिली है। धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका उल्लेख रामायण में मिलता है। बिहार-नेपाल सीमा पर विदेह (तिरहुत) का प्रदेश जो कोसी और गंडकी नदियों के बीच में स्थित है। इस प्रदेश की प्राचीन राजधानी जनकपुर में थी।
  • रामायण-काल में यह जनपद बहुत प्रसिद्ध था तथा सीता के पिता जनक का राज्य इसी प्रदेश में था। मिथिला जनकपुर को भी कहते थे।[1] अहिल्याश्रम मिथिला के सन्निकट स्थित था।
  • वाल्मीकि रामायण<balloon title="वाल्मीकि रामायण, 1,71,3" style=color:blue>*</balloon> के अनुसार मिथिला के राज्यवंश का संस्थापक निमि था। मिथि इसके पुत्र थे और मिथि के पुत्र जनक। इन्हीं के नाम राशि वंशज सीता के पिता जनक थे।
  • वायु पुराण<balloon title="वायु पुराण 88,7-8" style=color:blue>*</balloon> और विष्णु पुराण<balloon title="विष्णु पुराण 4, 5, 1" style=color:blue>*</balloon> में निमि को विदेह का राजा कहा है तथा उसे इक्ष्वाकु वंशी माना है।<balloon title= "दे॰ विदेह" style=color:blue>*</balloon> मिथिला राजा मिथि के नाम पर प्रसिद्ध हुई। विष्णु पुराण में मिथिलावन का उल्लेख है।[2] विष्णु पुराण<balloon title="विष्णु पुराण 4, 13, 107" style=color:blue>*</balloon> में मिथिला को विदेह नगरी कहा गया है।
  • मज्झिमनिकाय<balloon title="मज्झिमनिकाय 2, 74, 83" style=color:blue>*</balloon> और निमिजातक में मिथिला का सर्वप्रथम राजा मखादेव बताया गया है। जातक<balloon title="जातक सं॰ 539" style=color:blue>*</balloon> में मिथिला के महाजनक नामक राजा का उल्लेख है।
  • महाभारत में मिथिला के जनक की निम्न दार्शनिक उक्तियों का उल्लेख है।<balloon title="मिथिलायां प्रदीप्तयां नमे दह्यति किंच’ महाभारत, शांतिपर्व 219 दक्षिणात्य पाठ" style=color:blue>*</balloon> वास्तव में जनक नाम के राजाओं का वंश मिथिला का सर्वप्रसिद्ध राज्य वंश था। महाभारत<balloon title="महाभारत, सभापर्व 30, 13" style=color:blue>*</balloon> में भीम सेन द्वारा विदेहराज जनक की पराजय का वर्णन है। महाभारत में मिथिलाधिप जनक का उल्लेख है।<balloon title="केनवृत्तेन वृतज्ञ जनको मिथिलाधिप:’ शांतिपर्व 218, 1" style=color:blue>*</balloon>
  • जैन ग्रंथ विविधकल्प सूत्र में इस नगरी का जैन तीर्थ के रूप में वर्णन है। इस ग्रंथ से निम्न सूचना मिलती है, इसका एक अन्य नाम जगती भी था। इसके निकट ही कनकपुर नामक नगर स्थित था। मल्लिनाथ और नेमिनाथ दोनों ही तीर्थंकरों ने जैन धर्म में यहीं दीक्षा ली थी और यहीं उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहीं अकंपित का जन्म हुआ था। मिथिला में गंगा और गंडकी का संगम है। महावीर ने यहाँ निवास किया था तथा अपने परिभ्रमण में वहाँ आते-जाते थे। जिस स्थान पर राम और सीता का विवाह हुआ था वह शाकल्य कुण्ड कहलाता था। जैन सूत्र-प्रज्ञापणा में मिथिला को मिलिलवी कहा है।

टीका टिप्पणी

  1. ’तत: परमसत्कारं सुमते प्राप्य राघवौ, उप्यतत्र निश:मेकां जग्मतु: मिथिला तत:
    तां द्दष्टवा मुनय: सर्वे जनकस्य पुरीं शुभाम् साधुसाध्वतिशंसन्तो मिथिलां संपूजयन्।
    मिथिल पवने तत्र आश्रमं द्दश्य राघव:
    , पुराण निजने रम्यं प्रयच्छ मुनिपुंगवम्’
    , दे॰ वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड 48-49
  2. ’सा च बडवाशतयोजन प्रमाणमागमतीता पुनरपि वाह्यमाना मिथिलावनोद्देशे प्राणानुत्ससर्ज’, विष्णु पुराण 4, 13, 93