उरशा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - ")</ref" to "</ref")
m (Adding category Category:महाभारत (को हटा दिया गया हैं।))
Line 12: Line 12:
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:महाभारत]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 05:21, 14 September 2011

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

उरशा शायद उरगा का पाठांतर है। इस देश का अभिज्ञान हज़ारा ज़िला (पश्चिम पाकिस्तान) से किया गया है। इस नाम के नगर की स्थिति[1] पेशावर से लगभग चालीस मील पूर्व की ओर होगी। यवनराज अलक्षेंद्र ने 327 ई.पू. में पंजाब पर आक्रमण करते समय अभिसार नरेश को अधीन करने के पश्चात् अपना आधिपत्य उरशा पर भी स्थापित कर लिया था। ग्रीक लेखक एरियन ने यहाँ के राजा का नाम अरसाकिस लिखा है। भूगोलविद् टॉलमी के अनुसार तक्षशिला इसी देश में थी। चीनी यात्रा युवानच्वांग के अनुसार उसके समय[2] में नगर के उत्तर की ओर एक स्तूप बना हुआ था जहाँ भगवान तथागत अपने पूर्वजन्म में सुदान (वैश्वन्तर) के रूप में जन्मे थे। स्तूप के पास एक विहार भी था जहाँ बौद्ध आचार्य ईश्वर ने अपने ग्रन्थों की रचना की थी। नगर के दक्षिणी द्वार पर एक अशोक स्तंभ था जो उस स्थान का परिचायक था जहाँ वैश्वन्तर के पुत्र और पुत्री को एक निष्ठुर ब्राह्मण ने बेचा था (बैस्सन्तर जातक) वैश्वन्तर ने जिस दंतालोक पर्वत पर अपने बच्चों को दान में दे दिया था वहाँ भी अशोक का वनवाया हुआ एक स्तूप था। बौद्ध कथा है कि जिस स्थान पर निष्ठुर ब्राह्मण इन बच्चों को पीटता था वहाँ की वनस्पति भी रक्तरंजित हो गई थी और बहुत दिनों तक वैसी ही रही थी। इसी स्थान पर ऋप्यश्रृंग का आश्रम था जिन्हें एक गणिका ने मोह लिया था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उरगा या उरशा का उल्लेख सभा पर्व महाभारत 27, 19 में है- देखें उरगा
  2. सातवीं शती ई. का मध्यकाल

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख