पेनुगोण्डा: Difference between revisions
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'''पेनुगोण्डा''' एक ऐतिहासिक स्थान जो मध्य कालीन [[विजयनगर साम्राज्य]] का एक नगर था। वर्तमान में पेनुगोण्डा [[आंध्र प्रदेश]] में है। | '''पेनुगोण्डा''' एक ऐतिहासिक स्थान है जो मध्य कालीन [[विजयनगर साम्राज्य]] का एक नगर था। वर्तमान में पेनुगोण्डा [[आंध्र प्रदेश]] में है। | ||
*पेनुगोण्डा पूर्व मध्यकाल में एक व्यापारिक नगर था। | |||
*पेनुगोण्डा पूर्व मध्यकाल में एक व्यापारिक नगर था। यहाँ व्यापारिक संगठन थे,जो निगम सदृश थे। इनको काफी आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। वे अपने सदस्यों द्वारा उत्पादित या व्यापार किये जाने वाले माल का मूल्य निर्धारित करते थे। | *यहाँ व्यापारिक संगठन थे,जो निगम सदृश थे। इनको काफी आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। | ||
*वे अपने सदस्यों द्वारा उत्पादित या व्यापार किये जाने वाले माल का मूल्य निर्धारित करते थे। | |||
*1382 के वेलूर के एक लेख से ज्ञात होता है कि पेनुगोण्डा में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए बड़े मेलों का भी आयोजन होता था। | *1382 के वेलूर के एक लेख से ज्ञात होता है कि पेनुगोण्डा में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए बड़े मेलों का भी आयोजन होता था। | ||
*[[तालीकोटा का युद्ध]] के पश्चात विजयनगर के राजा [[रामराय]] के भाई तिरुमल्ल के अधीन साम्राज्य को पुनः शक्ति प्राप्त करने का अवसर मिला। | *[[तालीकोटा का युद्ध|तालीकोटा के युद्ध]] के पश्चात विजयनगर के राजा [[रामराय]] के भाई तिरुमल्ल के अधीन साम्राज्य को पुनः शक्ति प्राप्त करने का अवसर मिला। | ||
*[[मुसलमान|मुसलमानों]] के चले जाने के बाद वह पेनुगोण्डा पहुँचा और वहाँ उसने विजयनगर साम्राज्य की प्रतिष्ठा और शक्ति को इतना बढ़ा दिया कि वह मुस्लिम राज्यों के मामलों में भी हस्तक्षेप करने योग्य हो गया। | *[[मुसलमान|मुसलमानों]] के चले जाने के बाद वह पेनुगोण्डा पहुँचा और वहाँ उसने विजयनगर साम्राज्य की प्रतिष्ठा और शक्ति को इतना बढ़ा दिया कि वह मुस्लिम राज्यों के मामलों में भी हस्तक्षेप करने योग्य हो गया। | ||
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पेनुगोण्डा एक ऐतिहासिक स्थान है जो मध्य कालीन विजयनगर साम्राज्य का एक नगर था। वर्तमान में पेनुगोण्डा आंध्र प्रदेश में है।
- पेनुगोण्डा पूर्व मध्यकाल में एक व्यापारिक नगर था।
- यहाँ व्यापारिक संगठन थे,जो निगम सदृश थे। इनको काफी आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त थी।
- वे अपने सदस्यों द्वारा उत्पादित या व्यापार किये जाने वाले माल का मूल्य निर्धारित करते थे।
- 1382 के वेलूर के एक लेख से ज्ञात होता है कि पेनुगोण्डा में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए बड़े मेलों का भी आयोजन होता था।
- तालीकोटा के युद्ध के पश्चात विजयनगर के राजा रामराय के भाई तिरुमल्ल के अधीन साम्राज्य को पुनः शक्ति प्राप्त करने का अवसर मिला।
- मुसलमानों के चले जाने के बाद वह पेनुगोण्डा पहुँचा और वहाँ उसने विजयनगर साम्राज्य की प्रतिष्ठा और शक्ति को इतना बढ़ा दिया कि वह मुस्लिम राज्यों के मामलों में भी हस्तक्षेप करने योग्य हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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