बशोली चित्रकला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (श्रेणी:नया पन्ना (को हटा दिया गया हैं।))
m (चित्रकला बशोली शैली इस लेख का नाम बदल कर बशोली चित्रकला कर दिया गया हैं (अनुप्रेषित))
(No difference)

Revision as of 08:16, 11 October 2011

  • पुस्तक चित्रण की पहाड़ी शैली, जो भारतीय पहाड़ी राज्यों में 17वीं शताब्दी के अंत व 18वीं शताब्दी में फली-फूली बशोली चित्रकला अपने रंगों और रेखाओं की सजीवता के लिए जानी जाती है। यद्यपि इस शैली का नाम एक छोटे से स्वतंत्र राज्य बशोली के नाम पर पड़ा, जो इस शैली का मुख्य केंद्र है, इसके नमूने क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  • बशोली शैली का उद्गम अस्पष्ट है; अब तक खोजे गए प्राचीनतम नमूनों में से एक, रसमंजरी (1690) के चित्रण की श्रृंखला पहले से ही पूर्ण विकसित शैली को दर्शाता है। अधिकांश चित्र आयताकार खांचे में बने हैं, जिसमें चित्र बनाने का स्थान बहुधा वास्तुशास्त्रीय विवरण वाले विशिष्ट लाल रंग के हाशियों से घिरा हुआ है।
  • पार्श्वचित्र में बड़ी, भावप्रवण आंखों के साथ दर्शाए गए चेहरे विशेष शैली में हैं; रंगों में गेरुआ, पीला, भूरा और हरा प्रमुख है। इसकी एक विशिष्ट तकनीक आभूषणों को सफ़ेद रंग की मोटी, उठी हुई बूंदों के माध्यम से दर्शाया है, जिसमें हरे भृंगो के पंखों का प्रयोग पन्ना रत्न को दर्शाने के लिए किया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख