रुक्मिणी मंगल -नंददास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
कात्या सिंह (talk | contribs) m (रुक्मिणी मंगल का नाम बदलकर रुक्मिणी मंगल -नंददास कर दिया गया है) |
(No difference)
|
Revision as of 14:50, 14 October 2011
'रुक्मिणी मंगल' की कथा श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध उत्तरार्ध के 52, 53 और 54वें अध्याय से ली गयी है। नंददास ने भागवत के कुछ विस्तारों को छोड़ दिया है तथा भावपूर्ण स्थलों को अधिक विशद कर दिया है। 'दशमस्कंध' की रचना नंददास ने अपने एक मित्र के अनुरोध से की थी, जिससे उन्हें संस्कृत भागवत के विषय का भाषा द्वारा ज्ञान हो जाए। इसमें भागवत का भावानुवाद किया गया है और साथ ही भागवत की कुछ टीकाओं का भी उपयोग कर लिया गया है। दशमस्कंध की कथा का इसमें केवल उन्तीसवें अध्याय तक वर्णन है। कहा जाता है कि नंददास सम्पूर्ण भागवत का अनुवाद करना चाहते थे, किंतु बाद में ब्राह्मणों के प्रार्थना करने पर उनकी वृत्ति छिन जाएगी, उन्होंने अपना संकल्प त्याग दिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 279-280।