कलियंग रासो: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('*यह एक रासो काव्य है। *कलियंग रासो में कलियुग का वर...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''कलियंग''' एक [[रासो काव्य]] है। | |||
*कलियंग रासो में [[कलियुग]] का वर्णन है। | *कलियंग रासो में [[कलियुग]] का वर्णन है। | ||
*यह अलि रासिक गोविन्द की रचना हैं। | *यह अलि रासिक गोविन्द की रचना हैं। | ||
Line 12: | Line 12: | ||
==सम्बंधित लेख== | ==सम्बंधित लेख== | ||
{{रासो काव्य}} | {{रासो काव्य}} | ||
[[Category: | [[Category:आदि_काल]] | ||
[[Category:रासो_काव्य]] | |||
[[Category:साहित्य_कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 06:34, 6 December 2011
कलियंग एक रासो काव्य है।
- कलियंग रासो में कलियुग का वर्णन है।
- यह अलि रासिक गोविन्द की रचना हैं।
- इसकी रचना तिथि सं. 1835 तथा छन्द संख्या 70 है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
सम्बंधित लेख