काली मिर्च: Difference between revisions
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*इसका स्वाद चरपरा होता है और तासीर गर्म होती है। | *इसका स्वाद चरपरा होता है और तासीर गर्म होती है। जिससे पित्त की वृद्धि होती है। साथ ही ये कफ़ को नष्ट करती है तथा इससे वायु का गोला भी नष्ट होता है। | ||
*इससे भोजन स्वादिष्ट तथा रुचिकर बनता है और पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। यह [[हृदय]] के लिए अत्यंत लाभकारी है। परिणामस्वरूप हृदय रोग में इसका हितकारी प्रभाव होता है। | |||
*इससे भोजन स्वादिष्ट तथा रुचिकर बनता है और पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। यह [[हृदय]] के लिए अत्यंत लाभकारी है। | |||
*इसके [[पाचन]] से पाचकाग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे अपच की शिकायत नष्ट होती है। | *इसके [[पाचन]] से पाचकाग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे अपच की शिकायत नष्ट होती है। | ||
*पेट में वायु बनना, पेट का दर्द, अफरा तथा अरूचि, अग्निमांद्य, बवासीर, दस्त की बीमारी, संग्रहणी, पेट के कीड़े आदि रोगों में यह लाभदायक सिद्ध होती है। | *पेट में वायु (गैस) बनना, पेट का दर्द, अफरा तथा अरूचि, अग्निमांद्य, [[बवासीर]], दस्त की बीमारी, संग्रहणी, पेट के कीड़े आदि रोगों में यह लाभदायक सिद्ध होती है। | ||
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Revision as of 09:48, 19 April 2012
thumb|काली मिर्च काली मिर्च काले रंग के दाने जैसी होती हैं। अत्यंत तेज़ एवं उग्र होने के कारण इन्हें मिर्च की संज्ञा दी गई है।
- इसका स्वाद चरपरा होता है और तासीर गर्म होती है। जिससे पित्त की वृद्धि होती है। साथ ही ये कफ़ को नष्ट करती है तथा इससे वायु का गोला भी नष्ट होता है।
- इससे भोजन स्वादिष्ट तथा रुचिकर बनता है और पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। यह हृदय के लिए अत्यंत लाभकारी है। परिणामस्वरूप हृदय रोग में इसका हितकारी प्रभाव होता है।
- इसके पाचन से पाचकाग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे अपच की शिकायत नष्ट होती है।
- पेट में वायु (गैस) बनना, पेट का दर्द, अफरा तथा अरूचि, अग्निमांद्य, बवासीर, दस्त की बीमारी, संग्रहणी, पेट के कीड़े आदि रोगों में यह लाभदायक सिद्ध होती है।
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