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जोधपुर [[भारत]] के राजपूत राजाओं का एक प्रमुख गढ़ रहा है। इसकी स्‍थापना 1459 में राव जोधा ने किया था। जोधपुर मारवाड़ों का मुख्‍य वित्तिय राजधानी था, जहाँ [[राठौड़ वंश]] ने शासन किया था। जोधपुर [[थार मरुस्‍थल]] के दाहिने छोर पर स्थित है।   
==स्थापना==
जोधपुर शहर, जोधपुर ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में है, इसकी स्थापना एक राजपूत [[राव जोधा]] ने 1459 में की थी और यह भूतपूर्व जोधपुर रियासत की राजधानी था। शहर के कुछ हिस्से 18वीं शताब्दी के परकोटे से घिरे हुए हैं। यह दुर्ग, जिसमें महल और ऐतिहासिक संग्रहालय हैं, एक अलग-थलग, लेकिन ऊँची चट्टान पर बना हुआ है, जो दूर से ही दिखाई देता है। इसके ठीक उत्तर में [[मारवाड़]] की प्राचीन राजधानी मंडौर के चौथी शताब्दी के अवशेष विद्यमान हैं। जोधपुर मारवाड़ों का मुख्‍य वित्तिय राजधानी था, जहाँ [[राठौड़ वंश]] ने शासन किया था। जोधपुर [[थार मरुस्‍थल]] के दाहिने छोर पर स्थित है।
==इतिहास==
1961 में मुग़ल बादशाह [[अकबर]] के आक्रमण के बाद इसने मुग़लों का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। 1679 में मुग़ल बादशाह [[औरंगज़ेब]] ने मारवाड़ पर हमला करके इसे लूटा और यहाँ के निवासियों को [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार करने को मज़बूर किया, लेकिन जोधपुर, [[जयपुर]] और [[उदयपुर]] की रियासतों ने गठबंधन बनाकर मुसलमानों के नियंत्रण को रोके रखा। इसके बाद जयपुर और जोधपुर के राजकुमारों को उदयपुर परिवार के साथ वैवाहिक सम्बन्ध करने का अधिकार (जो मुग़लों के साथ मित्रता के कारण समाप्त हो गया था) इस शर्त पर फिर से प्राप्त हो गया कि उदयपुर की राजकुमारियों से उत्पन्न बच्चे पहले उत्तराधिकारी होंगे। लेकिन इस शर्त से उत्पन्न झगड़ों के कारण अन्ततः यहाँ मराठों का प्रभुत्व क़ायम हो गया। 1818 में जोधपुर ब्रिटिश सत्ता के अंतर्गत आ गया। 1949 में यह राजस्थान राज्य में शामिल हो गया।
==यातायात और परिवहन==
जोधपुर प्रमुख सड़क और रेल जंक्शन वाला शहर है।
==कृषि और खनिज==
यह शहर कृषि उपज, ऊन, मवेशी, नमक और चमड़े का विपणन केन्द्र है।
==उद्योग और व्यापार==
यहाँ इंजीनियरिंग और रेल की कार्यशालाएँ हैं व साथ ही सूती वस्त्र, पीतल तथा लोहे के बर्तन, साइकिल, स्याही और पोलो के उपकरणों का निर्माण होता है। जोधपुर अपने हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रख्यात है, जिसमें हाथीदाँत का सामान, काँच की चूड़ियाँ, छुरी—काँटा, रंगे हुए वस्त्र, लाख की वस्तुएँ, नमदे, चमड़े का सामान, संगमरमर के पत्थर का काम और क़ालीनों की बुनाई प्रमुख है।
==उच्च न्यायालय==
राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में राज्य का उच्च न्यायालय स्थित है।
==शिक्षण संस्थान==
यहाँ अन्य संस्थानों के साथ-साथ:-
*जोधपुर विश्वविद्यालय,
*एम॰बी॰एम॰ इंजीनियरिंग कालेज,
*डाक्टर एस॰एन॰ मेडिकल कालेज,
*जे॰डी॰ मेमोरियल फ़ैकल्टी आफ़ फ़ार्मेसी,
*गवर्नमेंट पालीटेक्निक कालेज और
*जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (1962 में स्थापित) स्थित है।
==जनसंख्या==
जोधपुर शहर की जनसंख्या (2001) 8,46,408 है। और जोधपुर ज़िले की कुल  जनसंख्या 28,80,777 है।
==पर्यटन==
==पर्यटन==
भारत में राजस्‍थान को मरुस्‍थलों का राजा कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐसे स्‍थान हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्‍हीं में से एक है-जोधपुर। 15वीं शदी में निर्मित क़िला और महलें यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। पहाड़ी के शिखर और शहर के अंतिम छोर पर अवस्थित मेहरानगढ़ का क़िला मध्‍यकालीन राजशाही का मानो प्रति‍बिंब है।
भारत में राजस्‍थान को मरुस्‍थलों का राजा कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐसे स्‍थान हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्‍हीं में से एक है-जोधपुर। 15वीं शदी में निर्मित क़िला और महलें यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। पहाड़ी के शिखर और शहर के अंतिम छोर पर अवस्थित मेहरानगढ़ का क़िला मध्‍यकालीन राजशाही का मानो प्रति‍बिंब है।

Revision as of 13:25, 5 June 2010

स्थापना

जोधपुर शहर, जोधपुर ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में है, इसकी स्थापना एक राजपूत राव जोधा ने 1459 में की थी और यह भूतपूर्व जोधपुर रियासत की राजधानी था। शहर के कुछ हिस्से 18वीं शताब्दी के परकोटे से घिरे हुए हैं। यह दुर्ग, जिसमें महल और ऐतिहासिक संग्रहालय हैं, एक अलग-थलग, लेकिन ऊँची चट्टान पर बना हुआ है, जो दूर से ही दिखाई देता है। इसके ठीक उत्तर में मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडौर के चौथी शताब्दी के अवशेष विद्यमान हैं। जोधपुर मारवाड़ों का मुख्‍य वित्तिय राजधानी था, जहाँ राठौड़ वंश ने शासन किया था। जोधपुर थार मरुस्‍थल के दाहिने छोर पर स्थित है।

इतिहास

1961 में मुग़ल बादशाह अकबर के आक्रमण के बाद इसने मुग़लों का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। 1679 में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने मारवाड़ पर हमला करके इसे लूटा और यहाँ के निवासियों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने को मज़बूर किया, लेकिन जोधपुर, जयपुर और उदयपुर की रियासतों ने गठबंधन बनाकर मुसलमानों के नियंत्रण को रोके रखा। इसके बाद जयपुर और जोधपुर के राजकुमारों को उदयपुर परिवार के साथ वैवाहिक सम्बन्ध करने का अधिकार (जो मुग़लों के साथ मित्रता के कारण समाप्त हो गया था) इस शर्त पर फिर से प्राप्त हो गया कि उदयपुर की राजकुमारियों से उत्पन्न बच्चे पहले उत्तराधिकारी होंगे। लेकिन इस शर्त से उत्पन्न झगड़ों के कारण अन्ततः यहाँ मराठों का प्रभुत्व क़ायम हो गया। 1818 में जोधपुर ब्रिटिश सत्ता के अंतर्गत आ गया। 1949 में यह राजस्थान राज्य में शामिल हो गया।

यातायात और परिवहन

जोधपुर प्रमुख सड़क और रेल जंक्शन वाला शहर है।

कृषि और खनिज

यह शहर कृषि उपज, ऊन, मवेशी, नमक और चमड़े का विपणन केन्द्र है।

उद्योग और व्यापार

यहाँ इंजीनियरिंग और रेल की कार्यशालाएँ हैं व साथ ही सूती वस्त्र, पीतल तथा लोहे के बर्तन, साइकिल, स्याही और पोलो के उपकरणों का निर्माण होता है। जोधपुर अपने हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रख्यात है, जिसमें हाथीदाँत का सामान, काँच की चूड़ियाँ, छुरी—काँटा, रंगे हुए वस्त्र, लाख की वस्तुएँ, नमदे, चमड़े का सामान, संगमरमर के पत्थर का काम और क़ालीनों की बुनाई प्रमुख है।

उच्च न्यायालय

राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में राज्य का उच्च न्यायालय स्थित है।

शिक्षण संस्थान

यहाँ अन्य संस्थानों के साथ-साथ:-

  • जोधपुर विश्वविद्यालय,
  • एम॰बी॰एम॰ इंजीनियरिंग कालेज,
  • डाक्टर एस॰एन॰ मेडिकल कालेज,
  • जे॰डी॰ मेमोरियल फ़ैकल्टी आफ़ फ़ार्मेसी,
  • गवर्नमेंट पालीटेक्निक कालेज और
  • जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (1962 में स्थापित) स्थित है।

जनसंख्या

जोधपुर शहर की जनसंख्या (2001) 8,46,408 है। और जोधपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 28,80,777 है।

पर्यटन

भारत में राजस्‍थान को मरुस्‍थलों का राजा कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐसे स्‍थान हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्‍हीं में से एक है-जोधपुर। 15वीं शदी में निर्मित क़िला और महलें यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। पहाड़ी के शिखर और शहर के अंतिम छोर पर अवस्थित मेहरानगढ़ का क़िला मध्‍यकालीन राजशाही का मानो प्रति‍बिंब है।

मेहरानगढ़ का क़िला

  • जोधपुर मेहरानगढ़ का क़िला पहाड़ी के बिल्‍कुल ऊपर बसे होने के कारण राजस्‍थान के सबसे खूबसूरत क़िलों में से एक है।
  • इस क़िले के सौंदर्य को श्रृंखलाबद्ध रूप से बने द्वार और भी बढ़ाते हैं।
    • इन्‍हीं द्वारों में से एक है-जयपोल। इसका निर्माण राजा मानसिंह ने 1806 ईस्‍वी में किया था।
    • दूसरे द्वार का नाम है-विजयद्वार। इसका निर्माण राजा अजीत सिंह ने मुग़लों पर विजय के उपलक्ष्‍य में किया था।
  • क़िले के अंदर में भी पर्यटकों को देखने हेतु कई महत्‍वपूर्ण इमारतें हैं:- जैसे मोती महल, सुख महल, फूलमहल आदि-आदि।

जसवंत थाड़ा

  • जोधपुर में यह जसवंत थाड़ा है।
  • यह पूरी तरह से मार्बल निर्मित है।
  • इसका निर्माण 1899 में राजा जसवंत सिंह द्वितीय और उनके सैनिकों की याद में किया गया था।
  • इसकी कलाकृति आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

उम्‍मैद महल

  • जोधपुर के इस महल का निर्माण महाराजा उम्‍मैद सिंह ने सन 1943 में किया था।
  • मार्बल और बालू का पत्‍थर से बने इस महल का दृश्‍य पर्यटकों को खासतौर पर लुभाता है।
  • इस महल के संग्रहालय में पुरातन युग की घडियाँ और पेंटिंग्‍स भी संरक्षित हैं।

खानपान

यहाँ खासतौर पर दूध निर्मित खाद्य पदार्थों का ज्‍यादा प्रयोग होता है। जैसे मावा का लड्डू, क्रीम युक्‍त लस्‍सी, मावा कचौड़ी, और दूध फिरनी आदि।

उत्‍सव

  • जोधपुर में कुछ प्रमुख उत्सव है जो बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
  • मारवाड़ उत्‍सव, नागौर का प्रसिद्ध पशु मेला, कागा में शीतलामाता का उत्‍सव और पीपर का गंगुआर मेला।