कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 6: Line 6:
इस कालेज में शिक्षा पाने के लिये राजघराने का पाल्य होने की शर्त को [[1933]] में हटा लिया गया था। [[1965]] में इस विद्यालय को [[भारत सरकार]] द्वारा देश के प्रमुख विद्यालयों के रूप में चिन्हित करते हुये मेधावी छात्रों को शिक्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया।इस कालेज मे प्राचार्य तथा उपप्राचार्य अंग्रेज ही हुआ करते थे । विद्यालय आज भी बी. आई. ए. (ब्रिटिश इन्डिया एसोसिएशन) नामक संस्था के सहयोग से चलता है।
इस कालेज में शिक्षा पाने के लिये राजघराने का पाल्य होने की शर्त को [[1933]] में हटा लिया गया था। [[1965]] में इस विद्यालय को [[भारत सरकार]] द्वारा देश के प्रमुख विद्यालयों के रूप में चिन्हित करते हुये मेधावी छात्रों को शिक्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया।इस कालेज मे प्राचार्य तथा उपप्राचार्य अंग्रेज ही हुआ करते थे । विद्यालय आज भी बी. आई. ए. (ब्रिटिश इन्डिया एसोसिएशन) नामक संस्था के सहयोग से चलता है।
==उपलब्धियां==
==उपलब्धियां==
विद्यालय [[उज्जैन]], [[तक्षशिला]], [[नालन्दा]], [[सांची]], और [[अजन्ता]] नामक पांच प्रमुख हाउस में बंटा हुआ है। यह [[लखनऊ]] का एक ऐसा विद्यालय है जिसमें [[भारत]] की अनेक प्रमुख हस्तियो जैसे [[अरुण नेहरू] , [[जावेद अख्तर]], [[बाबा सहगल]] आदि ने शिक्षा प्राप्त की है।
विद्यालय [[उज्जैन]], [[तक्षशिला]], [[नालन्दा]], [[सांची]], और [[अजन्ता]] नामक पांच प्रमुख हाउस में बंटा हुआ है। यह [[लखनऊ]] का एक ऐसा विद्यालय है जिसमें [[भारत]] की अनेक प्रमुख हस्तियो जैसे अरुण नेहरू, [[जावेद अख्तर]], [[बाबा सहगल]] आदि ने शिक्षा प्राप्त की है।
अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर ने लिखा है-
अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर ने लिखा है-
{| width="100%" style="border:1px solid #a7d7f9; border-radius:10px; color:#075352;"
{{दाँयाबक्सा|पाठ=मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...<ref>अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर</ref>|विचारक=[[जावेद अख्तर]]}}
|-valign="top"
| style="width:50%; padding:20px; text-align:justify;"|
मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...<ref>अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर</ref>--[[जावेद अख्तर]]
|}
इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।
इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।
*[[जावेद अख्तर]], प्रसिद्ध गीतकार   
*[[जावेद अख्तर]], प्रसिद्ध गीतकार   
Line 51: Line 47:
[[Category:शिक्षा कोश]]
[[Category:शिक्षा कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 08:36, 8 February 2013

thumb|right|250px|[http://www.colvincollege.org/home.aspx कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज] कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज जनपद लखनऊ में स्थित है। अवध और आगरा के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन इस कालेज के संस्थापक थे।

इतिहास

सुरम्य गोमती के तट पर 80 एकड भूमि के विस्तार में फैले इस कालेज 'कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज' की स्थापना 11 मार्च 1891 को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन की थी। काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी थी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष 1892 में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और ताल्लुक़ दार के पाल्यो ने दाखिला लिया। इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी। अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से उपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकडा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया।[1]

व्यवस्था

इस कालेज में शिक्षा पाने के लिये राजघराने का पाल्य होने की शर्त को 1933 में हटा लिया गया था। 1965 में इस विद्यालय को भारत सरकार द्वारा देश के प्रमुख विद्यालयों के रूप में चिन्हित करते हुये मेधावी छात्रों को शिक्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया।इस कालेज मे प्राचार्य तथा उपप्राचार्य अंग्रेज ही हुआ करते थे । विद्यालय आज भी बी. आई. ए. (ब्रिटिश इन्डिया एसोसिएशन) नामक संस्था के सहयोग से चलता है।

उपलब्धियां

विद्यालय उज्जैन, तक्षशिला, नालन्दा, सांची, और अजन्ता नामक पांच प्रमुख हाउस में बंटा हुआ है। यह लखनऊ का एक ऐसा विद्यालय है जिसमें भारत की अनेक प्रमुख हस्तियो जैसे अरुण नेहरू, जावेद अख्तर, बाबा सहगल आदि ने शिक्षा प्राप्त की है। अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर ने लिखा है-

चित्र:Blockquote-open.gif मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...[2] चित्र:Blockquote-close.gif

इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।

  • जावेद अख्तर, प्रसिद्ध गीतकार
  • रजा हुसैन, प्रसिद्ध भूगर्भवेत्ता
  • असित देसाई, वैमानिकी प्रमुख बंगलौर
  • अशोक कुमार बोइंग विमान के डिजाइनकर्ता
  • सिमरन सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान
राजनीतिज्ञ
  • दिनेश सिंह, राजनीतिज्ञ
  • अजीत सिंह, राजनीतिज्ञ
  • अवधेश सिंह, राजनीतिज्ञ
  • अमरनाथ वर्मा, राजनीतिज्ञ
  • जीतेन्द्र प्रसाद, राजनीतिज्ञ
  • अरूण नेहरू
प्रशासनिक अधिकारी



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा बुलेटिन संख्या 378
  2. अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख