प्रयोग:गोविन्द6: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 9: Line 9:
|- valign="top"
|- valign="top"
|  
|  
[[चित्र:Kabir-ka-kamaal.jpg|right|120px|link=भारतकोश सम्पादकीय 19 मार्च 2013]]
[[चित्र:Kabir-ka-kamaal.jpg|border|right|100px|link=भारतकोश सम्पादकीय 19 मार्च 2013]]
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय19 मार्च 2013|कबीर का कमाल]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय19 मार्च 2013|कबीर का कमाल]]</center>
<poem>
<poem>

Revision as of 13:16, 19 March 2013

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

border|right|100px|link=भारतकोश सम्पादकीय 19 मार्च 2013

कबीर का कमाल

              सहज होना आनंददायक तो है लेकिन सहज होना बहुत मुश्किल है। सरल और सहज तो आप 'होते' हैं 'बन' नहीं सकते फिर भी प्रयास करते रहने में क्या बुराई है...। सहजता राम जैसी कि तैयार हुए 'राज सिंहासन' के लिए और पल भर में ही जाना पड़ा 'वनवास' के लिए। राम वन को भी सहजता से ही गए। महावीर सहजता में इतने गहरे उतर गए कि 'निवस्त्र' ही रहे। रामकृष्ण परमहंस कहीं बारात में नाच होता देखते तो स्वयं भी नाचने लग जाते। जनक महलों में रहकर भी 'विदेह' कहलाए। चैतन्य महाप्रभु की सहज भक्ति के कारण तो मुस्लिम भी 'कृष्ण भक्त' हो गए और इन भक्तों ने वृन्दावन में अनेक भव्य मंदिर बनवा दिए। विष्णुगुप्त चाणक्य चंद्रगुप्त को मगध का 'शासक' बना कर वापस 'शिक्षक' बन गए। ...पूरा पढ़ें

पिछले लेख प्रतीक्षा की सोच · अहम का वहम