वैदेही वनवास पंचदश सर्ग: Difference between revisions
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दिव्य-भूतियों के अद्भुत-आगार हैं॥ | दिव्य-भूतियों के अद्भुत-आगार हैं॥ | ||
हैं रविकुल के रवि-सम वे हैं दिव्यतम। | हैं रविकुल के रवि-सम वे हैं दिव्यतम। | ||
वे वसुधातल के अनुपम- | वे वसुधातल के अनुपम-शृंगार हैं॥73॥ | ||
उनके पद का करो अनुसरण पूत हो। | उनके पद का करो अनुसरण पूत हो। |
Revision as of 13:21, 25 June 2013
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परम-सरसता से प्रवाहिता सुरसरी। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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