संविधान संशोधन- 50वाँ: Difference between revisions

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'''भारत का संविधान (50वाँ संशोधन) अधिनियम,1984'''
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'''भारत का संविधान (50वाँ संशोधन) अधिनियम, 1984'''
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Latest revision as of 10:55, 5 July 2013

संविधान संशोधन- 50वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
50वाँ संशोधन 1984
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (50वाँ संशोधन) अधिनियम, 1984

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • संविधान के अनुच्छेद 33 द्वारा संसद को यह निर्धारित करने के लिए क़ानून बनाने की शक्ति दी गई है कि संविधान के भाग 3 द्वारा प्रदत्त किसी अधिकारी को सशस्त्र सेनाओं अथवा लोक-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रभावित बलों पर लागू करने में किस सीमा तक प्रतिबंधित अथवा निराकृत किया जाए, ताकि उनके द्वारा कर्तव्यों के उचित निर्वहन और उनमें अनुशासन बनाए रखने को सुनिश्चित किया जा सके।
  • अनुच्छेद 33 की परिधि में निम्नलिखित बातों को लाने के लिए इसका संशोधन प्रस्तावित है:
  1. राज्य की अथवा उसके प्रभार या कब्जे में संपत्ति के संरक्षण के लिए प्रभारित बलों के सदस्य, अथवा
  2. आसूचना अथवा प्रति-आसूचना के प्रयोजन के लिए राज्य द्वारा स्थापित ब्यूरों अथवा अन्य संगठनों में नियुक्त व्यक्ति, अथवा
  3. किसी बल, ब्यूरो अथवा संगठन के प्रयोजन के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणालियों में नियुक्त अथवा उनसे संबंधित व्यक्ति।
  • अनुभव से पता चला है कि इनके द्वारा कर्तव्यों के उचित निर्वहन तथा उनमें अनुशासन बनाए रखने को सुनिश्चित्त करने की आवश्यकता राष्ट्रीय हित में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख