प्रियप्रवास द्वितीय सर्ग: Difference between revisions
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गगन मंडल तारक-मालिका॥1॥ | गगन मंडल तारक-मालिका॥1॥ | ||
तम | तम ढके तरु थे दिखला रहे। | ||
तमस-पादप से जन-वृंद को। | तमस-पादप से जन-वृंद को। | ||
सकल गोकुल गेह-समूह भी। | सकल गोकुल गेह-समूह भी। |
Revision as of 13:05, 1 October 2013
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गत हुई अब थी द्वि-घटी निशा। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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