सुबाहु (शत्रुघ्न पुत्र): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==पन्ने की प्रगति अवस्था==" to "")
No edit summary
Line 2: Line 2:


[[कालिदास]] ने अन्यत्र शत्रुघ्न के द्वारा [[यमुना नदी|यमुना-तट]] पर भव्य [[मथुरा]] नगरी के निर्माण का कथन किया है। शत्रुघ्न के पुत्रों [[शूरसेन]] और सुबाहु का क्रमश: मथुरा तथा विदिशा के अधिकारी होने का भी वर्णन [[रघुवंश]] में मिलता है।
[[कालिदास]] ने अन्यत्र शत्रुघ्न के द्वारा [[यमुना नदी|यमुना-तट]] पर भव्य [[मथुरा]] नगरी के निर्माण का कथन किया है। शत्रुघ्न के पुत्रों [[शूरसेन]] और सुबाहु का क्रमश: मथुरा तथा विदिशा के अधिकारी होने का भी वर्णन [[रघुवंश]] में मिलता है।
 
<ref>"शत्रुघातिनी शत्रुघ्न सुबाहौ च बहुश्रुते। मथुराविदिशे सून्वोर्निदधे पूर्वजोत्सुकः।।"(रघु. 15,36)</ref>
<ref>"शत्रुघातिनी शत्रुघ्न सुबाहौ च बहुश्रुते।
मथुराविदिशे सून्वोर्निदधे पूर्वजोत्सुकः।।"(रघु. 15,36)</ref>


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति

Revision as of 13:03, 31 July 2010

सुबाहु राम के भाई शत्रुघ्न के पुत्र थे। विदिशा पुर के विषय में रामायण में एक परंपरा का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार रामचन्द्र ने इसे शत्रुघ्न को सौंप दिया था। शत्रुघ्न के दो पुत्र उत्पन्न हुये जिनमें सुबाहु छोटा पुत्र था। उन्होंने इसे विदिशा का शासक नियु[क्त किया था। थोड़े ही समय में यह नगर अपनी अनुकूल परिस्थितियों के कारण पनप उठा। भारतीय आख्यान, कथाओं एवं इतिहास में इसका स्थान निराले तरह का है।

कालिदास ने अन्यत्र शत्रुघ्न के द्वारा यमुना-तट पर भव्य मथुरा नगरी के निर्माण का कथन किया है। शत्रुघ्न के पुत्रों शूरसेन और सुबाहु का क्रमश: मथुरा तथा विदिशा के अधिकारी होने का भी वर्णन रघुवंश में मिलता है। [1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. "शत्रुघातिनी शत्रुघ्न सुबाहौ च बहुश्रुते। मथुराविदिशे सून्वोर्निदधे पूर्वजोत्सुकः।।"(रघु. 15,36)