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         '''[[कवि प्रदीप]]''' का मूल नाम 'रामचंद्र नारायण द्विवेदी' था। कवि सम्मेलनों में [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']] जैसे महान साहित्यकार को प्रभावित कर सकने की क्षमता रामचंद्र द्विवेदी में थी। उन्हीं के आशीर्वाद से रामचंद्र 'प्रदीप' कहलाने लगे। कवि प्रदीप '[[ऐ मेरे वतन के लोगों]]' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने [[1962]] के '[[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]]' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित स्वर कोकिला [[लता मंगेशकर]] द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] की उपस्थिति में [[26 जनवरी]] [[1963]] को [[दिल्ली]] के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। कवि प्रदीप अपनी रचनाएं गाकर ही सुनाते थे और उनकी मधुर आवाज़ का सदुपयोग अनेक संगीत निर्देशकों ने अलग-अलग समय पर किया। [[कवि प्रदीप|... और पढ़ें]]
         '''[[कवि प्रदीप]]''' का मूल नाम 'रामचंद्र नारायण द्विवेदी' था। कवि सम्मेलनों में [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']] जैसे महान साहित्यकार को प्रभावित कर सकने की क्षमता रामचंद्र द्विवेदी में थी। उन्हीं के आशीर्वाद से रामचंद्र 'प्रदीप' कहलाने लगे। कवि प्रदीप '[[ऐ मेरे वतन के लोगों]]' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने [[1962]] के '[[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]]' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। [[लता मंगेशकर]] द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहरलाल नेहरू]] की उपस्थिति में [[26 जनवरी]], [[1963]] को [[दिल्ली]] के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। कवि प्रदीप अपनी रचनाएं गाकर ही सुनाते थे और उनकी मधुर आवाज़ का सदुपयोग अनेक संगीत निर्देशकों ने अलग-अलग समय पर किया। [[कवि प्रदीप|... और पढ़ें]]
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एक व्यक्तित्व

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        कवि प्रदीप का मूल नाम 'रामचंद्र नारायण द्विवेदी' था। कवि सम्मेलनों में सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जैसे महान साहित्यकार को प्रभावित कर सकने की क्षमता रामचंद्र द्विवेदी में थी। उन्हीं के आशीर्वाद से रामचंद्र 'प्रदीप' कहलाने लगे। कवि प्रदीप 'ऐ मेरे वतन के लोगों' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1962 के 'भारत-चीन युद्ध' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी, 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। कवि प्रदीप अपनी रचनाएं गाकर ही सुनाते थे और उनकी मधुर आवाज़ का सदुपयोग अनेक संगीत निर्देशकों ने अलग-अलग समय पर किया। ... और पढ़ें


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