परिहार: Difference between revisions
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Revision as of 12:59, 22 February 2015
उत्तर भारत में 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' के अनुसार परिहार भूमि अनुदानों के साथ शामिल विशेषाधिकार और छूटें हैं। कौटिल्य अर्थशास्त्र का निर्देश है कि ब्राह्मणों को प्रदत्त भूमि अनुदान को करों और अर्थदंडों से मुक्त रखना चाहिए। अभिलेखीय साक्ष्य भी इसकी पूर्ण पुष्टि करते हैं। शिवस्कंद्वर्मन के हीरदगल्ली के ताम्रपत्र अभिलेख में दो प्रकार के परिहारों का उल्लेख है। ये परिहार भू-अनुदान क्षेत्रों में शाही सत्ता के क्षय के सामान्यत: कारक माने जाते हैं।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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