विज्ञानेश्वर: Difference between revisions
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*विज्ञानेश्वर ने [[पिता]] के जीवन काल में पुत्रों द्वारा सम्पत्ति के विभाजन का विरोध किया है। | |||
*‘[[गौतम धर्मसूत्र]]’ के आधार पर विज्ञानेश्वर ने ये स्वीकार किया है कि पैतृक सम्पत्ति में बालक का अधिकार जन्मजात होता है। उसने यह संकेत किया है कि पौत्र को जो सम्मिलित रूप से पितामह के साथ रहता हो, उसे यह अधिकार है कि [[परिवार]] की सम्पत्ति को बेचने अथवा दान देने से उसे रोके, यदि इससे परिवार का कोई हित न होता हो। पर वह इस दिशा में केवल मंत्रणा दे सकता है। पर स्वअर्जित सम्पत्ति पर अर्जित करने वाले का ही अधिकार प्रमुख होता है। पुत्रों का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। पिता इस प्रकर अपनी अर्जित सम्पत्ति का चाहे जिस प्रकार बँटवारा करे, पुत्र उसे रोक नहीं सकता है। | |||
Revision as of 10:17, 18 March 2015
विज्ञानेश्वर प्राचीन भारत का एक विद्वान था, जो चालुक्यों की राजधानी कल्याणी में विक्रमादित्य चालुक्य (1076-1126 ई.) के राज्य काल में रहता था।
- 'मिताक्षरा' संस्कृत भाषा में विज्ञानेश्वर द्वारा रचित धर्मशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
- विज्ञानेश्वर ने पिता के जीवन काल में पुत्रों द्वारा सम्पत्ति के विभाजन का विरोध किया है।
- ‘गौतम धर्मसूत्र’ के आधार पर विज्ञानेश्वर ने ये स्वीकार किया है कि पैतृक सम्पत्ति में बालक का अधिकार जन्मजात होता है। उसने यह संकेत किया है कि पौत्र को जो सम्मिलित रूप से पितामह के साथ रहता हो, उसे यह अधिकार है कि परिवार की सम्पत्ति को बेचने अथवा दान देने से उसे रोके, यदि इससे परिवार का कोई हित न होता हो। पर वह इस दिशा में केवल मंत्रणा दे सकता है। पर स्वअर्जित सम्पत्ति पर अर्जित करने वाले का ही अधिकार प्रमुख होता है। पुत्रों का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। पिता इस प्रकर अपनी अर्जित सम्पत्ति का चाहे जिस प्रकार बँटवारा करे, पुत्र उसे रोक नहीं सकता है।
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