डावरिया प्रथा: Difference between revisions

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|चित्र का नाम=डावरिया प्रथा
|विवरण=डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के [[विवाह]] में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थीं।
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'''डावरिया प्रथा''' [[राजस्थान]] में प्रचलित पुरानी प्रथाओं में से एक थी। राजस्थान में अब इस प्रथा का समापन पूर्ण रूप से हो चुका है।
'''डावरिया प्रथा''' [[राजस्थान]] में प्रचलित पुरानी प्रथाओं में से एक थी। राजस्थान में अब इस प्रथा का समापन पूर्ण रूप से हो चुका है।
*यह प्रथा राजा-महाराजाओं और जागीरदारों में प्रचलित थी।
*यह प्रथा राजा-महाराजाओं और जागीरदारों में प्रचलित थी।
*डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के [[विवाह]] में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थी। इन्हें 'डावरिया' कहा जाता था।
*डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के [[विवाह]] में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थी। इन्हें 'डावरिया' कहा जाता था।

Latest revision as of 13:26, 25 March 2015

डावरिया प्रथा
विवरण डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के विवाह में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थीं।
राज्य राजस्थान
अन्य जानकारी राजस्थान में अब इस प्रथा का समापन पूर्ण रूप से हो चुका है।

डावरिया प्रथा राजस्थान में प्रचलित पुरानी प्रथाओं में से एक थी। राजस्थान में अब इस प्रथा का समापन पूर्ण रूप से हो चुका है।

  • यह प्रथा राजा-महाराजाओं और जागीरदारों में प्रचलित थी।
  • डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के विवाह में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थी। इन्हें 'डावरिया' कहा जाता था।
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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