भारतीय आयुध निर्माणियाँ: Difference between revisions
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Revision as of 09:54, 14 August 2016
भारतीय आयुध निर्माणियाँ एक भव्य औद्योगिक संरचना हैं, जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। भारतीय आयुध निर्माणियाँ जिसका मुख्यालय कोलकाता में है, वह 41 निर्माणियों , 9 प्रशिक्षण संस्थान, 3 क्षेत्रीय विपणन केन्द्र ओर 4 क्षेत्रीय संरक्षा नियंत्रणालयों का समूह है। यह जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं।
इतिहास
भारतीय आयुध निर्माणियों का इतिहास एवं विकास भारत में अंग्रेज़ी शासन काल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। इंगलैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने आर्थिक लाभ एवं अपनी राजनीतिक शक्ति को बढाने हेतु सैन्य सामग्री को महत्वपूर्ण अवयव के रूप में स्थापित किया। सन 1775 के दौरान ब्रिटिश प्राधिकारियों ने फ़ोर्ट विलियम, कोलकाता में आयुध निर्माणी की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की। यह भारत में थल सेना आयुध के प्रारम्भ को दर्शाता है। सन 1787 में ईशापुर गन पाउडर फैक्टरी की स्थापना की गई एवं 1791 से इसका उत्पादन शुरू हुआ।[1] सन 1801 में काशीपुर, कोलकाता में तोपगाड़ी एजेंसी[2] की स्थापना की गई एवं इसका उत्पादन 18 मार्च, 1802 से होने लगा। यह आयुध निर्माणियों की प्रथम औद्योगिक स्थापना थी, जो अपने अस्तित्व को आज की तिथि तक कायम रखे हुए है।
तीव्र विकास
अपनी वर्तमान प्रतिष्ठा में अग्रसर आयुध निर्माणियाँ निरंतर परंतु अत्यंत तीव्र गति से विकास कर रही है। भारत में 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कुल 18 आयुध निर्माणियाँ थीं। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत 21 निमाणियों की स्थापना की गई, अधिकांशत: भारतीय सशस्त्र बलों के द्वारा तीन प्रधान युद्ध लड़ने के परिणामस्वरूप की गई। बिहार के नालंदा में 40 वीं फैक्टरी निर्माणाधीन है।
प्रदत्त सुविधाएँ
आज आयुध निर्माणी बोर्ड भारत में फैली 41 निर्माणियों के साथ निम्न सुविधाएँ प्रदान करता है-
- बहु-प्रौद्योगिकी सामर्थ्यताओं के साथ एक बृहत् और परिवर्तनीय उत्पादन आधार।
- अत्याधुनिक उत्पादन सुविधाएं।
- कुशल और पेशेवर अर्हता प्राप्त जनशक्ति और प्रबंधकीय कार्मिकों का बृहत् भंडार।
- गुणवता मानकों का सख्त पालन[3]
- आवश्यकता आधारित परिष्करण एवं सुधार के लिए मौलिक एवं अनुकूलित अनुसंधान एवं विकास।
- अभियांत्रिकी सामर्थ्यता को आगे बढ़ाना।
- औद्योगिक प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए एक मजबूत आधार।
- सुविधाजनक स्थान के कारण रेडी मार्केट तक पहुँच।
- भौगोलिक विस्तार
भारतवर्ष मे 41 आयुध निर्माणियाँ 24 विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित हैं। हमारी निर्माणियाँ एवं मुख्यालय विभिन्न स्थानों में कहाँ पर स्थित हैं , उन्हें मानचित्र में देख सकते हैं।
क्र.सं. | राज्य एवं संघ शासित प्रदेशों के नाम | निर्माणियों की संख्या |
---|---|---|
1. | महाराष्ट्र | 10 |
2. | उत्तर प्रदेश | 9 |
3. | मध्य प्रदेश | 6 |
4. | तमिलनाडू | 6 |
5. | पश्चिम बंगाल | 4 |
6. | उत्तरांचल | 2 |
7. | आंध्र प्रदेश | 1 |
8. | चण्डीगढ़ | 1 |
9. | उड़ीसा | 1 |
10. | बिहार | 1 |
ग्राहक
भारतीय आयुध निर्माणियों के चुनिंदा ग्राहक भारतीय सशस्त्र सेनाएं हैं। सशस्त्र सेनाओं को आयुध की आपूर्ति के अतिरिक्त, आयुध निर्माणियाँ अन्य दूसरे उपभोक्ताओं की मांगों को भी पूरा करती हैं, जैसे- गोला बारूद, वस्त्र, बुलेट प्रुफ वाहन और सुरंग प्रतिरोधी वाहन की आपूर्ति इत्यादि। निर्यात के आयतन में वृद्धि एवं इसके कार्य विस्तार में फैलाव आयुध निर्माणियों का प्रमुख उद्देश्य रहता है।
आयुध निर्माणी परिवार
41 आयुध निर्माणियों का एक परिवार- भारतीय आयुध निर्माणियां संगठन, अपने संयुक्त मुख्यालय आयुध निर्माणी बोर्ड, कोलकाता के संरक्षण में आयुध निर्माण में 200 वर्षों से अधिक का अनुभव रखता है। ये जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं। भारत एवं विदेशों में प्राप्त संरक्षण इसके उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता का बखान करते हैं। निस्संदेह, ये सशस्त्र सेनाओं को सशक्त करती हैं। भारतीय आयुध निर्माणियाँ सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ा औद्योगिक ढांचा हैं जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। आयुध निर्माणियां रक्षा हार्डवेयर (यंत्र सामग्री) सामान एवं उपस्कर के स्वदेशी उत्पादन के लिए सशस्त्र सेनाओं को आधुनिकतम युध्दभूमि उपस्करों से सज्जित करने के प्रारंभिक उद्वेश्यों के साथ एकनिष्ठ आधार की संरचना करती हैं।
मुख्य घटनाएं
आयुध निर्माणियों के विकास क्रम की मुख्य घटनाएं निम्न प्रकार से सूचीबद्ध की जा सकती हैं-
- 1801 - काशीपुर, कोलकाता में गन कैरिज एजेंसी की स्थापना।
- 1802 - 18 मार्च, 1802 से काशीपुर में उत्पादन की शुरुआत।
- 1906 - भारतीय आयुध निर्माणियों के प्रशासन का दायित्व 'आई जी आयुध निर्माणियों' के अधीन आ गया।
- 1933 - निदेशक, आयुध निर्माणियाँ को प्रभार प्रदान किया गया।
- 1948 - रक्षा मंत्रालय के सीघे नियंत्रण के अधीन।
- 1962 - रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई।
- 1979 - दिनांक 2 अप्रैल से आयुध निर्माणी बोर्ड अस्त्तित्व में आया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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