के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति: Difference between revisions
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हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।। | हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।। | ||
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय। | एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय। | ||
सखि अनकर | सखि अनकर दु:ख दारुन रे, जग के पतिआय।। | ||
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल। | मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल। | ||
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।। | गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।। |
Latest revision as of 14:05, 2 June 2017
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के पतिआ लय जायत रे, मोरा पिअतम पास। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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