प्रियप्रवास सप्तम सर्ग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
||
Line 232: | Line 232: | ||
उस वर-धन को मैं माँगती चाहती हूँ। | उस वर-धन को मैं माँगती चाहती हूँ। | ||
उपचित जिससे है वंश की बेलि होती। | उपचित जिससे है वंश की बेलि होती। | ||
सकल | सकल जगत् प्राणी मात्रा का बीज जो है। | ||
भव-विभव जिसे खो है वृथा ज्ञात होता॥42॥ | भव-विभव जिसे खो है वृथा ज्ञात होता॥42॥ | ||
Revision as of 14:18, 30 June 2017
| ||||||||||||||||||||||||
ऐसा आया यक दिवस जो था महा मर्म्मभेदी। |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख