धर्मपाल गुलाटी

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धर्मपाल गुलाटी
पूरा नाम महाशय धर्मपाल गुलाटी
जन्म 27 मार्च, 1923
जन्म भूमि सियालकोट
मृत्यु 3 दिसंबर, 2020
मृत्यु स्थान दिल्ली
पति/पत्नी लीलावती
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र मसाला उद्योग
पुरस्कार-उपाधि 'पद्म भूषण' (2019)
प्रसिद्धि 'मसाला किंग' नाम से मशहूर
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी धर्मपाल गुलाटी ने वर्ष 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली थी, जिसके चलते वर्ष 1959 में उन्होंने स्वयं की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कीर्ति नगर में जमीन खरीदी।

महाशय धर्मपाल गुलाटी (अंग्रेज़ी: Mahashay Dharampal Gulati, जन्म- 27 मार्च, 1923; मृत्यु- 3 दिसंबर, 2020) भारत की दिग्गज मसाला कम्पनी 'एमडीएच' (MDH) के मालिक थे। 'मसाला किंग' के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने एमडीएच मसालों से ख्याति प्राप्त की। एमडीएच स्विट्ज़रलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाड़ा, यूरोपीय देशों, इत्यादि में मसालों का निर्यात करता है। वर्तमान में एमडीएच विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरा है। एमडीएच मसाले का पूरा नाम महाशियां दी हट्टी है और इसे भारतीय खाद्य उद्योग में कामयाबी की एक बड़ी मिसाल माना जाता है।

परिचय

धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था, जहां उनके पिता 'महाशियाँ दी हट्टी' नामक एक दुकान से मसाले बेचने का कार्य करते थे। वह आर्य समाज के बहुत बड़े अनुयायी थे। धर्मपाल गुलाटी ने 10 वर्ष की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी (जब वह पांचवी कक्षा में थे) और अपने पिता की दुकान पर कार्य करना शुरू कर दिया। 7 सितंबर, 1947 को वह भारत-पाक विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से दिल्ली, भारत लौट आए। वह दिल्ली के करोल बाग़ में अपनी भतीजी के घर पर रहने लगे, जहां पानी, बिजली की आपूर्ति नहीं थी।[1] धर्मपाल गुलाटी अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते थे, जिसके चलते वह सुबह 5 बजे योग किया करते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने बचपन से लेकर सफलता के पीछे के रहस्य का खुलासा किया है।

विवाह

देश में चारों तरफ जब आजादी का आंदोलन पूरे उफान पर था, उस दौर में 18 बरस की उम्र में धर्मपाल गुलाटी का विवाह लीलावती जी के साथ हुआ। शादी के बाद नई जिम्मेदारी को धर्मपाल गुलाटी ने बखूबी निभाया। 1992 में महाशय धर्मपाल की पत्नी लीलावती का निधन हुआ।

शुरुआती संघर्ष तथा सफलता

जब वह दिल्ली आए, तब उनके पिता ने उन्हें 1500 रुपये दिए थे, जिसमें से धर्मपाल गुलाटी ने 650 रुपये का तांगा (घोडा गाड़ी) खरीद लिया और कनॉट प्लेस से करोल बाग़ तक यात्रियों से 2 आने लेते थे। उन्हें अपनी आजीविका के लिए पर्याप्त रूप से साबित नहीं होने के कारण अक्सर अपमानित होना पड़ता था। इसलिए उन्होंने अपनी घोडा गाड़ी को बेच दिया और अजमल खान सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान बनाई और अपने परिवार का पुराना कारोबार मसालों को बेचना शुरू किया। प्रारंभ में सफलता के बाद, उन्होंने वर्ष 1953 में चांदनी चौक में एक और दुकान किराए पर ली, जिसके चलते वर्ष 1959 में उन्होंने स्वयं की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कीर्ति नगर में जमीन खरीदी, जहां उन्होंने एमडीएच मसालों के साम्राज्य यानि 'महाशियां दी हट्टी लिमिटेड' की स्थापना की, जिसका अर्थ है "एक महानुभाव आदमी की दुकान" पंजाबी में।

मसालों की शुद्धता गुलाटी परिवार के धंधे की बुनियाद थी। यही वजह थी कि धर्मपाल जी ने मसाले खुद ही पीसने का फैसला कर लिया। लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था। महाशय की ये मुश्किल ही उनकी कामयाबी की वजह बन गई।

'एमडीएच' एक ब्रांड

एमडीएच स्विट्ज़रलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाड़ा, यूरोपीय देशों, इत्यादि में मसालों का निर्यात करता है। वर्तमान में, एमडीएच भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरा है। 90 साल की उम्र पार करने के बाद भी धर्मपाल गुलाटी स्वयं एमडीएच उत्पादों का विज्ञापन करते रहे थे। आज एमडीएच 50 से भी अधिक विभिन्न उत्पादों को बेचता है।

धर्मपाल गुलाटी की मेहनत की बदौलत एमडीएच आज करीब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है। एमडीएच की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं जिनमें तैयार मसाला कई देशों में बेचा जाता है। इस समय एमडीएच के करीब 62 उत्पाद बाजार में हैं। कंपनी का दावा है कि उत्तर भारत के करीब 80% बाजार पर उसका क़ब्ज़ा है। गुलाटी जी अपनी कंपनी के विज्ञापन खुद ही करते थे। उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज ऐड स्टार भी माना जाता था।[2]

महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट

धर्मपाल गुलाटी द्वारा 'महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट' शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत 250 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और झोपड़पट्टी के निवासियों के लिए एक मोबाइल अस्पताल चलाया जा रहा है। इसके अलावा ट्रस्ट दिल्ली में 4 स्कूल भी चलाता है। इस ट्रस्ट के द्वारा वित्तीय सहायता भी सामाजिक संगठनों को दी जाती है। एमडीएच संदेश पत्रिका भी चलाता है, जो भारत के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है।

वेतन दान

धर्मपाल गुलाटी ने भले ही किताबी शिक्षा अधिक ना ली हो, लेकिन कारोबार में बड़े-बड़े दिग्गज उनका लोहा मानते थे। यूरोमॉनिटर के मुताबिक़, धर्मपाल गुलाटी एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ थे। सूत्रों के अनुसार 2018 में उन्हें 25 करोड़ रुपये इन-हैंड सैलरी मिली थी। धर्मपाल गुलाटी अपनी सैलरी का करीब 90 फीसदी हिस्सा दान कर देते थे। वह 20 स्कूल और एक हॉस्पिटल भी चला रहे थे।[3]

मृत्यु

धर्मपाल गुलाटी जी का 3 दिसंबर, 2020 को हृदय गति रुक जाने के कारण निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाशय धर्मपाल गुलाटी (एम. डी. एच) जीवन परिचय (हिंदी) hindi.starsunfolded.com। अभिगमन तिथि: 06 दिसंबर, 2020।
  2. सिर्फ 1500 रुपए लेकर भारत आए थे धर्मपाल गुलाटी (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 06 दिसंबर, 2020।
  3. नहीं रहे मसालों के बादशाह MDH वाले महाशय धर्मपाल (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 06 दिसंबर, 2020।

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