अरुण पुरी
अरुण पुरी
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पूरा नाम | अरुण पुरी |
जन्म | 1944 |
जन्म भूमि | लाहौर, अविभाजित भारत |
अभिभावक | पिता- विद्या विकास पुरी |
कर्म भूमि | भारत |
विद्यालय | लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण (2001) बीडी गोयनका अवॉर्ड |
नागरिकता | भारतीय |
व्यवसाय | व्यापारी व पत्रकार |
अन्य जानकारी | अरुण पुरी ने 1975 में 'इंडिया टुडे' नाम की पाक्षिक पत्रिका की शुरुआत की थी। उन दिनों देश में आपातकाल का दौर था और सूचना का नितांत अभाव था। |
अद्यतन | 12:37, 9 नवम्बर 2021 (IST)
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अरुण पुरी (अंग्रेज़ी: Aroon Purie, जन्म- 1944, लाहौर, अविभाजित भारत) भारतीय व्यापारी और इंडिया टुडे ग्रुप के पूर्व मुख्य कार्यकारी हैं। वह थॉमसन प्रेस (इंडिया) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और टीवी टुडे के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। वर्ष 2001 में उन्हें भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया है। इंडिया टुडे ग्रुप एक ऐसा मीडिया समूह है जिसे नंबर-2 की पोजीशन से नफरत है। टीवी हो या प्रिंट या फिर वेब मीडिया, इस समूह का कोई भी वेंचर हमेशा नंबर एक के स्थान पर रहता आया है और अगर कुछ समय के लिये पिछड़ा भी तो कड़ी मेहनत और सूझ-बूझ के दम पर वापस पहले नंबर पर आ जाता है। इस सब का श्रेय अगर किसी एक शख्स को दिया जा सकता है तो वह हैं अरुण पुरी।
परिचय
अविभाजित भारत के लाहौर में 1944 में जन्मे अरुण पुरी के पिता विद्या विकास पुरी आज़ादी के वक्त दिल्ली आये और फाइनैंस के कारोबार में काफ़ी सफल रहे। अरुण पुरी की शिक्षा-दीक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई और 1965 में दुनिया भर में मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से स्नातक किया। उन्हें ब्रिटिश चार्टर्ड अकाउंटेंट इंस्टीट्यूट की फैलोशिप भी हासिल है। 1970 में उन्होंने थॉमसन प्रेस में प्रोडक्शन कंट्रोलर के पद से अपना कॅरियर शुरू किया, लेकिन उनकी मंजिल कुछ और थी।[1]
पत्रिका की शुरुआत
पिता विद्या विकास पुरी व बहन मधु (त्रेहन) के साथ मिलकर 1975 में इंडिया टुडे नाम की पाक्षिक पत्रिका की शुरुआत की। उन दिनों देश में आपातकाल का दौर था और सूचना का नितांत अभाव था। अरुण पुरी ने इस पत्रिका के जरिये देशवासियों तथा विदेश में रह रहे भारतीयों को जो खबरें नहीं मिल रही थीं, उन्हें निष्पक्षता से सरल भाषा में देने की कोशिश की। पत्रिका की ख़ास बात यह थी कि इसमें प्रस्तुत हर विचार के साथ कोई संदर्भ या बयान ज़रूर रहता था। आधुनिक पत्रकारिता का ये बिल्कुल नया प्रयोग था और नतीजा ये निकला कि कुछ ही दिनों में इसकी लोकप्रियता आसमान चढ़ गयी। जल्दी ही इंडिया टुडे छह भाषाओं में प्रकाशित होने लगा और यह देश की सबसे लोकप्रिय पत्रिका बन गयी।
सफलता
इंडिया टुडे की सफलता के बाद इसी ग्रुप के बैनर तले अरुण पुरी ने एक के बाद एक कई नये पत्र-पत्रिकाएँ शुरू की। आज इस संस्था के पास 32 पत्रिकाएँ, 7 रेडियो स्टेशन, 4 टीवी चैनल, एक दैनिक अख़बार, कई वेब पोर्टल्स, क्लासिकल म्युज़िक की एक कंपनी और पुस्तकें प्रकाशित करने का एक डिवीजन भी है। बिज़नेस टुडे, कॉस्मोपॉलिटन, रीडर्स डाइजेस्ट, डिज़ाइन टुडे आदि कई पत्रिकाएँ अपने-अपने वर्ग में अग्रणी हैं। मशहूर हिन्दी न्यूज चैनल 'आजतक' हमेशा ही निर्विवाद रूप से सबसे तेज और नंबर वन चैनल रहता आया है। इनके अतिरिक्त लल्लन टॉप और आई चौक जैसे वेब पोर्टल्स ने भी धमाल मचा रखा है। उन्होंने उस थॉमसन प्रेस को भी खरीद लिया जिसमें कभी वे काम करने आये थे।[1]
सम्मान
अरुण पुरी को देश के तीसरे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया जा चुका है। पत्रकारिता में भी उन्हें 'बी.डी. गोयनका अवॉर्ड', 'जर्नलिस्ट ऑफ द इयर अवॉर्ड', 'जी.के. रेड्डी मेमोरियल अवॉर्ड', 'आई.टी.ए. स्क्रॉल ऑफ ऑनर', 'हॉल ऑफ फेम अवॉर्ड' जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। वे 'ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन' के अध्यक्ष रह चुके हैं और एडीटर्स गिल्ड, आईमा व सी.आई.आई. जैसी कई संस्थाओं के सदस्य हैं। वे प्रकाशकों की अंतर्राष्ट्रीय संस्था फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल पीरियोडिकल्स एंड पब्लिकेशंस (एफआईपीपी) के पहले भारतीय अध्यक्ष हैं और ग्लोबल एडीटर्स नेटवर्क के बोर्ड मेंबर भी हैं। फेम इंडिया-एशिया पोस्ट मीडिया सर्वे 2018 में अरुण पुरी को मीडिया के एक प्रमुख सरताज के तौर पर पाया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 एक नाम नहीं, आधुनिक पत्रकारिता की पूरी कहानी हैं अरुण पुरी (हिंदी) thefameindia.com। अभिगमन तिथि: 09 नवंबर, 2021।
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