प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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-समाजवादी राज्य | -समाजवादी राज्य | ||
-पुलिस राज्य | -पुलिस राज्य | ||
+कल्याणकारी राज्य | +[[कल्याणकारी राज्य]] | ||
-सर्वोदय | -सर्वोदय | ||
||वह राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता है, कल्याणकारी राज्य कहलाता है। डेविड मार्श अपनी पुस्तक 'द वेलफेयर स्टेट' में कल्याणकारी राज्य की विशेषता बताते हुए कहते | ||वह राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता है, [[कल्याणकारी राज्य]] कहलाता है। डेविड मार्श अपनी पुस्तक 'द वेलफेयर स्टेट' में कल्याणकारी राज्य की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि ऐसा राज्य अपने नागरिकों को रोज़गार, न्यूनतम आय, शिक्षा का अधिकार तथा अशक्तता की स्थिति में संरक्षण का अधिकार और सामुदायिक आश्रय प्रदान करने का प्रयास करता है। | ||
{"हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54 | {"हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54 | ||
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-जार्ज बर्नार्ड शॉ | -[[जार्ज बर्नार्ड शॉ]] | ||
+मुनरो | +मुनरो | ||
-मोरीजन | -मोरीजन | ||
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+अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है | +अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है। थोरो ने वर्ष | ||हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है। थोरो ने वर्ष 1848 में लिखे एक निबंध 'Civil Disobedience' (सविनय अवज्ञा) में यह तर्क दिया था कि जब अपनी ही सरकार अन्याय करने लगे तो जनता को उसका विरोध अवश्य करना चाहिए। | ||
{यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, ' | {यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, 'पॉलिटिक्स एमंग नेशन्स' के लेखक कौन हैं?-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-64 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+हेन्स मार्गेन्थाऊ | +हेन्स मार्गेन्थाऊ | ||
-हेनरी किसिंजर | -हेनरी किसिंजर | ||
-क्विन्से राइट | -क्विन्से राइट | ||
-मार्टिन राइट | -मार्टिन राइट | ||
||राजनीतिक यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मॉरगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मॉरगेन्ताऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रनीति का केंद्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मॉरगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है। | ||राजनीतिक यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मॉरगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मॉरगेन्ताऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रनीति का केंद्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मॉरगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है। | ||
{हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51 | {हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का कौन प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51 | ||
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-[[मुख्यमंत्री]] | -[[मुख्यमंत्री]] | ||
- | -[[प्रधानमंत्री]] | ||
+[[राज्यपाल]] | +[[राज्यपाल]] | ||
- | -[[राष्ट्रपति]] | ||
||[[संविधान]] के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति [[राज्यपाल]] में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। | ||[[संविधान]] के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति [[राज्यपाल]] में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। | ||
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-सैलरस | -सैलरस | ||
-रसेल | -रसेल | ||
- | -रॉबर्ट | ||
+बर्नार्ड शॉ | +बर्नार्ड शॉ | ||
||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मशहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं | ||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मशहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। इन्हें [[1925]] में [[साहित्य]] के क्षेत्र में [[नोबेल पुरस्कार]] भी प्रदान किया गया था। | ||
{"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75 | {"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन किसका है?- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75 | ||
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+रैम्जे म्योर | +रैम्जे म्योर | ||
-हरमन | -हरमन फ़ाइनर | ||
-मैक्स वेबर | -मैक्स वेबर | ||
-लास्की | -लास्की | ||
||रैम्जे म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की | ||रैम्जे म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की शक्ति बहुत ज़्यादा है चाहे वह प्रशासन हो, विधायन हो या वित्त हो। वह मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में फ्रेंकेन्सटीन के दैत्य की भांति पनपी और विकसित हुई है और अब वह अपने पैदा करने वाले को ही खा जाना चाहती है"। | ||
{"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33 | {"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33 | ||
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-तिलक | -[[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]] | ||
-लेनिन | -लेनिन | ||
-[[भगत सिंह]] | -[[भगत सिंह]] | ||
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+कन्फ्यूशियस | +कन्फ्यूशियस | ||
-स्टालिन | -स्टालिन | ||
- | -माओत्से तुंग | ||
||माओ ने [[चीन]] में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष [[1973]] में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष [[1976]] तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की। | ||माओ ने [[चीन]] में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष [[1973]] में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष [[1976]] तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की। | ||
Revision as of 09:26, 2 November 2017
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