निर्मम संसार -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions
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उधर रवि आ पसार कर कांत। | उधर रवि आ पसार कर कांत। | ||
उषा का करता है | उषा का करता है श्रृंगार। | ||
प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति। | प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति। | ||
देख लो कैसा है संसार।।2।। | देख लो कैसा है संसार।।2।। |
Latest revision as of 07:54, 7 November 2017
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वायु के मिस भर भरकर आह। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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