निर्मम संसार -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions

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उधर रवि आ पसार कर कांत।
उधर रवि आ पसार कर कांत।
उषा का करता है शृंगार।
उषा का करता है श्रृंगार।
प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति।
प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति।
देख लो कैसा है संसार।।2।।
देख लो कैसा है संसार।।2।।

Latest revision as of 07:54, 7 November 2017

निर्मम संसार -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म 15 अप्रैल, 1865
जन्म स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 16 मार्च, 1947
मृत्यु स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास', 'पारिजात', 'हरिऔध सतसई'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचनाएँ

वायु के मिस भर भरकर आह।
ओस मिस बहा नयन जलधार।
इधर रोती रहती है रात।
छिन गये मणि मुक्ता का हार।।1।।

उधर रवि आ पसार कर कांत।
उषा का करता है श्रृंगार।
प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति।
देख लो कैसा है संसार।।2।।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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