वैदेही वनवास पंचदश सर्ग: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "श्रृंगार" to "शृंगार") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंगार" to "श्रृंगार") |
||
Line 387: | Line 387: | ||
दिव्य-भूतियों के अद्भुत-आगार हैं॥ | दिव्य-भूतियों के अद्भुत-आगार हैं॥ | ||
हैं रविकुल के रवि-सम वे हैं दिव्यतम। | हैं रविकुल के रवि-सम वे हैं दिव्यतम। | ||
वे वसुधातल के अनुपम- | वे वसुधातल के अनुपम-श्रृंगार हैं॥73॥ | ||
उनके पद का करो अनुसरण पूत हो। | उनके पद का करो अनुसरण पूत हो। |
Latest revision as of 07:56, 7 November 2017
| ||||||||||||||||||||||||
परम-सरसता से प्रवाहिता सुरसरी। |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख