हृद्य: Difference between revisions

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Revision as of 12:42, 20 April 2018

हृद्य पाणिनिकालीन भारत में प्रचलित एक शब्द था।

  • पाणिनि ने एक सूत्र में उन वशीकरण मंत्रों का भी उल्लेख किया है, जिनका जप करके पुरुष स्त्री के हृदय को अपने वश में कर लेता था। यह मंत्र वैदिक है, जो अथर्ववेद में संग्रहित है। स्त्री हृदय को बांधने वाले यह मंत्र ‘हृद्य’ कहलाते थे।[1][2]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बंधने चर्षौ, 4/4/ 96; पर हृदयम येन बध्यते वशीक्रियते स वशीकरण मंत्रों हृद्य इत्युच्यते
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 101 |

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