विमल प्रसाद चालिहा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
'''विमल प्रसाद चालिहा''' ( जन्म- [[26 मार्च]], [[1912]], मृत्यु- [[25 फरवरी]], [[1971]]) प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और [[असम]] के [[मुख्यमंत्री]] रहे थे। | '''विमल प्रसाद चालिहा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bimala Prasad Chaliha'', जन्म- [[26 मार्च]], [[1912]], मृत्यु- [[25 फरवरी]], [[1971]]) प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और [[असम]] के [[मुख्यमंत्री]] रहे थे। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता और असम के संकटकाल के प्रमुख मंत्री विमल प्रसाद चालिहा का जन्म [[26 मार्च]] [[1912]] ई. को हुआ था। वे [[कोलकाता]] के कॉलेज में पढ़ते समय [[गांधीजी]] के [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] के प्रभाव में आ गए थे।[[1932]] में जेल की यात्रा भी की। चालिहा ने एक नए तरीके का [[चरखा]] बनाया था जिसकी गांधीजी ने बहुत ही सराहना की थी। उनका अखिल भारतीय चरखा संघ से भी संबंध था। [[भारत छोड़ो आंदोलन]] में वे [[1942]] से [[1946]] तक नजरबंद रहे थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=799|url=}}</ref> | प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता और असम के संकटकाल के प्रमुख मंत्री विमल प्रसाद चालिहा का जन्म [[26 मार्च]] [[1912]] ई. को हुआ था। वे [[कोलकाता]] के कॉलेज में पढ़ते समय [[गांधीजी]] के [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] के प्रभाव में आ गए थे।[[1932]] में जेल की यात्रा भी की। चालिहा ने एक नए तरीके का [[चरखा]] बनाया था जिसकी गांधीजी ने बहुत ही सराहना की थी। उनका अखिल भारतीय चरखा संघ से भी संबंध था। [[भारत छोड़ो आंदोलन]] में वे [[1942]] से [[1946]] तक नजरबंद रहे थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=799|url=}}</ref> | ||
Line 5: | Line 5: | ||
विमल प्रसाद चालिहा के मुख्यमंत्रित्व काल में जब [[1962]] में [[चीन]] ने आक्रमण कर दिया था तो इसका [[असम]] पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ा था। उन्होंने इन सब परिस्थितियों का बड़े ही धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ से सामना किया था। चालिहा [[1957]] में असम विधानसभा के सदस्य चुने गए और राज्य के [[मुख्यमंत्री]] बने। मुख्यमंत्री पद पर वे [[1971]] तक रहे। उनका मुख्यमंत्रित्व काल [[असम]] के लिए और एक अर्थ में पूरे देश के लिए बहुत घटना पूर्ण रहा। असम की एक के बाद एक जनजातियों के क्षेत्रीय दलों ने अपने पृथक [[राज्य]] के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत कर दी। जन धन की बहुत ज्यादा हानि को देखते हुए [[राज्य]] और [[केंद्र सरकार]] ने इनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और [[असम]] का विभाजन करके [[मेघालय]], [[नागालैंड]], और [[मिजोरम]] जैसे नये राज्य बनाए गए। | विमल प्रसाद चालिहा के मुख्यमंत्रित्व काल में जब [[1962]] में [[चीन]] ने आक्रमण कर दिया था तो इसका [[असम]] पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ा था। उन्होंने इन सब परिस्थितियों का बड़े ही धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ से सामना किया था। चालिहा [[1957]] में असम विधानसभा के सदस्य चुने गए और राज्य के [[मुख्यमंत्री]] बने। मुख्यमंत्री पद पर वे [[1971]] तक रहे। उनका मुख्यमंत्रित्व काल [[असम]] के लिए और एक अर्थ में पूरे देश के लिए बहुत घटना पूर्ण रहा। असम की एक के बाद एक जनजातियों के क्षेत्रीय दलों ने अपने पृथक [[राज्य]] के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत कर दी। जन धन की बहुत ज्यादा हानि को देखते हुए [[राज्य]] और [[केंद्र सरकार]] ने इनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और [[असम]] का विभाजन करके [[मेघालय]], [[नागालैंड]], और [[मिजोरम]] जैसे नये राज्य बनाए गए। | ||
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
विमल प्रसाद चालिहा का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण [[25 फरवरी]] [[1971]] को निधन हो गया। | विमल प्रसाद चालिहा का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण [[25 फरवरी]], [[1971]] को [[शिलांग]] में निधन हो गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Revision as of 08:01, 4 July 2018
विमल प्रसाद चालिहा (अंग्रेज़ी: Bimala Prasad Chaliha, जन्म- 26 मार्च, 1912, मृत्यु- 25 फरवरी, 1971) प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और असम के मुख्यमंत्री रहे थे।
परिचय
प्रमुख रचनात्मक कार्यकर्ता और असम के संकटकाल के प्रमुख मंत्री विमल प्रसाद चालिहा का जन्म 26 मार्च 1912 ई. को हुआ था। वे कोलकाता के कॉलेज में पढ़ते समय गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रभाव में आ गए थे।1932 में जेल की यात्रा भी की। चालिहा ने एक नए तरीके का चरखा बनाया था जिसकी गांधीजी ने बहुत ही सराहना की थी। उनका अखिल भारतीय चरखा संघ से भी संबंध था। भारत छोड़ो आंदोलन में वे 1942 से 1946 तक नजरबंद रहे थे।[1]
राजनीतिक सूझबूझ
विमल प्रसाद चालिहा के मुख्यमंत्रित्व काल में जब 1962 में चीन ने आक्रमण कर दिया था तो इसका असम पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ा था। उन्होंने इन सब परिस्थितियों का बड़े ही धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ से सामना किया था। चालिहा 1957 में असम विधानसभा के सदस्य चुने गए और राज्य के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद पर वे 1971 तक रहे। उनका मुख्यमंत्रित्व काल असम के लिए और एक अर्थ में पूरे देश के लिए बहुत घटना पूर्ण रहा। असम की एक के बाद एक जनजातियों के क्षेत्रीय दलों ने अपने पृथक राज्य के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत कर दी। जन धन की बहुत ज्यादा हानि को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार ने इनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और असम का विभाजन करके मेघालय, नागालैंड, और मिजोरम जैसे नये राज्य बनाए गए।
मृत्यु
विमल प्रसाद चालिहा का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण 25 फरवरी, 1971 को शिलांग में निधन हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 799 |
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
- REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी