कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 416: Difference between revisions
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{विभिन्न [[गृह्यसूत्र|गृह्यसूत्रों]] के अनुसार किस प्रकार के [[विवाह]] में लड़की का [[पिता]] [[यज्ञ]] में दक्षिणा के रूप में अपनी बेटी [[पुरोहित]] को सौंप देता है? | {विभिन्न [[गृह्यसूत्र|गृह्यसूत्रों]] के अनुसार किस प्रकार के [[विवाह]] में लड़की का [[पिता]] [[यज्ञ]] में दक्षिणा के रूप में अपनी बेटी [[पुरोहित]] को सौंप देता है? | ||
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- | -[[ब्रह्म विवाह|ब्रह्म]] | ||
- | -[[प्रजापत्य विवाह|प्रजापत्य]] | ||
-[[आर्ष विवाह|आर्ष]] | -[[आर्ष विवाह|आर्ष]] | ||
+[[दैव विवाह|दैव]] | +[[दैव विवाह|दैव]] | ||
||[[चित्र:Vivah-Sanskar.JPG|right|border|80px|विवाह संस्कार]]'विवाह' मानव समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रथा या संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई [[परिवार]] का मूल है। इसे मानव जाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान साधन माना जाता है। इस शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से दो अर्थों में होता है। इसका पहला अर्थ वह क्रिया, [[संस्कार]], विधि या पद्धति है जिससे पति-पत्नी के स्थायी संबंध का निर्माण होता है। प्राचीन एवं [[मध्य काल]] के धर्मशास्त्री तथा वर्तमान युग के समाजशास्त्री समाज द्वारा स्वीकार की गई 'परिवार की स्थापना करने वाली किसी भी पद्धति' को [[विवाह]] मानते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विवाह]], [[दैव विवाह]] | |||
{[[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] के अनुसार [[कार्तिक माह]] में किस वृक्ष के पत्ते में भोजन करना चाहिए? | {[[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] के अनुसार [[कार्तिक माह]] में किस वृक्ष के पत्ते में भोजन करना चाहिए? | ||
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-[[अशोक वृक्ष|अशोक]] | -[[अशोक वृक्ष|अशोक]] | ||
-[[पीपल]] | -[[पीपल]] | ||
||[[चित्र:Palash-Tree.jpg|right|border|80px|पलाश वृक्ष]]'पलाश' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख [[देवता]]- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास है। अत: पलाश का उपयोग [[ग्रह|ग्रहों]] की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]] | |||
{श्रृंगार कुल कितने प्रकार के होते हैं? | {श्रृंगार कुल कितने प्रकार के होते हैं? | ||
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{[[पितर|पितरों]] का सम्बंध निम्न में से किस [[तिथि]] से माना जाता है? | {[[पितर|पितरों]] का सम्बंध निम्न में से किस [[तिथि]] से माना जाता है? | ||
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+[[अमावस्या]] | +[[अमावास्या|अमावस्या]] | ||
-[[पंचमी]] | -[[पंचमी]] | ||
-[[तृतीया]] | -[[तृतीया]] | ||
-[[अष्टमी]] | -[[अष्टमी]] | ||
||[[चित्र:Amavasya-Date.jpg|right|border|80px|अमावास्या]]'अमावास्या' की [[तिथि]] का [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। जिस तिथि में [[चन्द्रमा ग्रह|चन्द्रमा]] और [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] साथ रहते हैं, वही '[[अमावास्या]]' तिथि है। इसे 'अमावसी' भी कहा जाता है। इसके साथ ही 'सिनीवाली' या 'दर्श' नाम भी प्राप्त होते हैं। अमावास्या माह की तीसवीं तिथि होती है। [[कृष्ण पक्ष]] की [[प्रतिपदा]] को कृष्ण पक्ष प्रारम्भ होता है तथा अमावास्या का समाप्त होता है। अमावास्या पर सूर्य और चन्द्रमा का अन्तर शून्य हो जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमावास्या]] | |||
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Revision as of 06:25, 1 February 2020
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