एच. जे. कनिया: Difference between revisions

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Latest revision as of 11:22, 25 August 2022

एच. जे. कनिया
पूरा नाम हीरालाल जेकिसुनदास कनिया
जन्म 3 नवम्बर, 1890
जन्म भूमि सूरत, अविभाजित भारत
मृत्यु 6 नवम्बर, 1951
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
पति/पत्नी कुसुम मेहता
संतान रुक्मिणी शाह
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि न्यायाधीश
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद मुख्य न्यायाधीश, भारत- 26 जनवरी, 1950 से 6 नवम्बर, 1951 तक
विद्यालय गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुम्बई
संबंधित लेख भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तराधिकारी एम. पतंजलि शास्त्री

हीरालाल जेकिसुनदास कनिया (अंग्रेज़ी: Hiralal Jekisundas Kania, जन्म- 3 नवम्बर, 1890; मृत्यु- 6 नवम्बर, 1951) स्वतंत्र भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे। वह 26 जनवरी, 1950 से 6 नवम्बर, 1951 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे।

जन्म

हीरालाल जेकिसुनदास कनिया का जन्म 3 नवम्बर, 1890 में सूरत, (अविभाजित भारत) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जेकिसुनदास था। इनके पिता शामलदास कॉलेज में पहले संस्कृत प्राध्यापक रहे और फिर बाद में प्रधानाचार्य के रूप में काम करते थे।

शिक्षा

एच. जे. कनिया ने 1910 में सामलदास कॉलेज से बी.ए. किया। उसके बाद 1912 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से एलएलबी और 1913 में उसी संस्थान से एलएलएम किया। सन 1915 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बैरिस्टर के रूप में प्रैक्टिस शुरू की। बाद में कुसुम से विवाह किया। कुसुम सर चुन्नीलाल मेहता की बेटी थीं, जो कभी बंबई के गवर्नर की कार्यकारी परिषद के सदस्य थे।

कॅरियर

एच. जे. कनिया इंडिया लॉ रिपोर्ट्स के कार्यकारी सम्पादक थे। वर्ष 1930 में कुछ वक़्त के लिए वह बम्बई उच्च न्यायालय में कार्यकारी न्यायाधीश बने और जून 1931 में वह उसी न्यायालय में उच्च न्यायाधीश पद पर नियुक्त हुए। यह पद उन्होने 1933 तक सम्भाला। वर्ष 1943 की बर्थडे ऑनर्ज़ लिस्ट में कनिया का नाम था और उन्हे सर की उपाधि मिली। 14 अगस्त, 1947 को संघीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष सर पैट्रिक स्पेन्ज़ सेवानिवृत्त हुए। तब यह पद एच. जे. कनिया को मिला। 26 जनवरी को जब स्वतंत्र भारत एक गणराज्य बना तो एच. जे. कनिया देश के सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश बने और उन्होने अपनी शपथ भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के सामने पढ़ी।

सम्मान

वर्ष 1943 की बर्थडे ऑनर्ज़ लिस्ट में एच. जे. कनिया का नाम था और उन्हे 'सर' की उपाधि मिली।

मृत्यु

हीरालाल जेकिसुनदास कनिया का निधन 6 नवंबर, 1951 को नई दिल्ली में अचानक दिल का दौरा पड़ने से हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख