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:2. योग्य, दावेदार, अधिकारी, (कर्म., तुमुन्नन्त, तथा [[समास]] में)-नैवार्हः पैतृकं रिक्थं पतितोत्पादितो हि सः-मनु. 9/144, संस्कारमर्हस्त्वं न च लप्स्यसे-रामा., तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान् स्वबान्धवान्-भग. 1/37, इसी प्रकार मान वध दंड आदि। | |||
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:::::3. मूल्य (जैसा कि 'महार्ह' में)-महार्ह-शय्यापरिवर्तनच्युतैः-कु. 5/12, (महानहों यस्याः-मल्लिनाथ)'''-र्हा''' ([[स्त्रीलिंग]]) पूजा, आराधना।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=110|url=|ISBN=}}</ref> | |||
{{seealso|संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची)|संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची)|संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश}} | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 06:47, 27 November 2023
हिन्दी | आदरणीय, माननीय, उपयुक्त, योग्य, अधिकारी, पात्र, मूल्यवान, मूल्य, पूज्य, इन्द्र, विष्णु |
-व्याकरण | धातु, विशेषण, पुल्लिंग |
-उदाहरण | पूजार्ह- (पूजा+अर्ह), पूजा के योग्य, पूजनीय, दंडार्ह- (दंड+अर्ह), दंड के योग्य, दंडनीय |
-विशेष | यौगिक शब्द बनाने में विशेषण रूप में 'अर्ह' (उपयुक्त/योग्य) का उपयोग अधिक होता है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | इन्द्र, अनंतदृष्टि, अर्ह, देवेंद्र, देवेश, अर्घ, मूल्य, अर्थ, उपयोगी, उपयुक्त, फ़ायदेमंद, योग्य, व्यवहार्य, हितकारी |
संस्कृत | [अर्ह्+अच्], आदरणीय, आदर योग्य, पात्र, अधिकारी,-[1], योग्य, दावेदार, अधिकारी- [2], [3], [4], इसी प्रकार मान. वध. दंड. आदि सुहावना, उचित, उपयुक्त-[5], [6] |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
अर्ह (विशेषण) [अर्ह+अच्]
- 1. आदरणीय, आदर योग्य, पात्र, अधिकारी-अर्हावभेोजयन् विप्रो दण्डमर्हति माषकम्-मनुस्मृति 8/392
- 2. योग्य, दावेदार, अधिकारी, (कर्म., तुमुन्नन्त, तथा समास में)-नैवार्हः पैतृकं रिक्थं पतितोत्पादितो हि सः-मनु. 9/144, संस्कारमर्हस्त्वं न च लप्स्यसे-रामा., तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान् स्वबान्धवान्-भग. 1/37, इसी प्रकार मान वध दंड आदि।
- 3. सुहावना, उचित, उपयुक्त-केवलं यानमर्ह स्यात्-पंच. 3, (संबं. के साथ भी)-स भृत्योऽर्हो महीभुजाम् पंच. 1/87-92
- 4. उचित मूल्य का, कीमत का, -र्हः (पुल्लिंग)
- 1. इन्द्र
- 2. विष्णु
- 3. मूल्य (जैसा कि 'महार्ह' में)-महार्ह-शय्यापरिवर्तनच्युतैः-कु. 5/12, (महानहों यस्याः-मल्लिनाथ)-र्हा (स्त्रीलिंग) पूजा, आराधना।[7]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अर्हाविभोजयन् विप्रो दण्यमर्हति माषकम्- मनुस्मृति 8/312
- ↑ नैवार्हः पैतृकं रिकथं पतितोत्पादितो हि सः- मनुस्मृति 9/144
- ↑ संस्कारमर्हस्त्वं न च लप्स्यसे-रामायण
- ↑ तस्मान्नार्हा वयं हन्तुंधार्तराष्ट्रान् स्वबान्धवान्- भगवदगीता 1/37
- ↑ केवलं यानमर्ह स्यात्- पंचतंत्र 3
- ↑ स भृत्योऽर्हो महीभुजाम् पंचतंत्र 1/87-92
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 110 |