बुंदेलखंड पौराणिक इतिहास: Difference between revisions
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[[बुंदेलखंड]] पौराणिक काल में प्रसिद्ध शासकों के अधीन रहा है जिनमें [[चन्द्रवंश|चन्द्रवंशी]] राजाओं की विस्तृत सूची मिलती है। [[बौद्धकाल]] में पुराणकालीन के सभी [[महाजनपद|जनपदों]] की स्थिति भी मिलती है। प्राचीन [[बुंदेलखंड]] [[चेदि]] राज्य को माना जा सकता है। बौद्धकाल में शाम्पक नामक बौद्ध ने [[बागुढ़ा प्रदेश]] में भगवान [[बुद्ध]] के नाख़ून और बाल से एक स्तूप का निर्माण कराया था। वर्तमान [[मरहूत]] (वरदावती नगर) में इसके अवशेष विद्यमान हैं। | [[बुंदेलखंड]] पौराणिक काल में प्रसिद्ध शासकों के अधीन रहा है जिनमें [[चन्द्रवंश|चन्द्रवंशी]] राजाओं की विस्तृत सूची मिलती है। [[बौद्धकाल]] में पुराणकालीन के सभी [[महाजनपद|जनपदों]] की स्थिति भी मिलती है। प्राचीन [[बुंदेलखंड]] [[चेदि]] राज्य को माना जा सकता है। बौद्धकाल में शाम्पक नामक बौद्ध ने [[बागुढ़ा प्रदेश]] में भगवान [[बुद्ध]] के नाख़ून और बाल से एक स्तूप का निर्माण कराया था। वर्तमान [[मरहूत]] (वरदावती नगर) में इसके अवशेष विद्यमान हैं। |
Revision as of 07:40, 17 September 2010
मनु मानव समाज के आदि पुरुष बुंदेलखंड के इतिहास और समस्त भारतीय इतिहासों में हैं। इनकी प्रसिद्धि उत्तम-शासन व्यवस्था को देने और कोसल देश में अयोध्या को राजधानी बनाने में है। महाभारत और रघुवंश के आधार पर माना जाता है कि इक्ष्वाकु के तीसरे पुत्र दण्डक ने विन्धयपर्वत पर अपनी राजधानी बनाई थी।
बुंदेलखंड पौराणिक काल में प्रसिद्ध शासकों के अधीन रहा है जिनमें चन्द्रवंशी राजाओं की विस्तृत सूची मिलती है। बौद्धकाल में पुराणकालीन के सभी जनपदों की स्थिति भी मिलती है। प्राचीन बुंदेलखंड चेदि राज्य को माना जा सकता है। बौद्धकाल में शाम्पक नामक बौद्ध ने बागुढ़ा प्रदेश में भगवान बुद्ध के नाख़ून और बाल से एक स्तूप का निर्माण कराया था। वर्तमान मरहूत (वरदावती नगर) में इसके अवशेष विद्यमान हैं।
बुंदेलखंड में प्राप्त तत्युगीन अवशेषों से स्पष्ट है कि बुंदेलखंड की स्थिति में कोई लक्षणीय परिवर्तन नहीं हुआ था। चेदि की चर्चा न होना और वत्स, अवन्ति के शासकों का महत्व दर्शाना इस बात का प्रमाण है कि चेदि इनमें से किसी एक के अधीन रहा होगा। पौराणिक युग का चेदि जनपद ही प्राचीन बुंदेलखंड है।