ब्रह्मावर्त: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - ":ऐतिहासिक स्थाल कोश" to ":ऐतिहासिक स्थान कोश")
Line 8: Line 8:
==टीका-टिप्पणी==
==टीका-टिप्पणी==
<references/>
<references/>
[[Category:ऐतिहासिक स्थाल कोश]]
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
[[Category:पर्यटन कोश]] [[Category:ऐतिहासिक स्थल]]  
[[Category:पर्यटन कोश]] [[Category:ऐतिहासिक स्थल]]  
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 09:21, 28 March 2010

ब्रह्मर्षि देश / ब्रह्मावर्त / Brahmavart

यमुना नदी की पावन धारा के तट का वह भू-भाग, जिसे आजकल ब्रजमंडल या मथुरा मंडल कहते हैं पहले मध्य देश अथवा ब्रह्मर्षि देश के अन्तर्गत शूरसेन जनपद के नाम से प्रसिद्ध था, भारतवर्ष का अत्यन्त प्राचीन और महत्वपूर्ण प्रदेश माना गया है, अत्यन्त प्राचीन काल से ही इसी गौरव-गाथा के सूत्र मिलते हैं । हिन्दू , जैन, और बौद्धों की धार्मिक अनुश्रुतियों तथा संस्कृत, पालि, प्राकृत के प्राचीन ग्रन्थों में इस पवित्र भू-खण्ड का विशद वर्णन वर्णित है । ब्रह्मावर्त, ब्रह्मदेश, ब्रह्मर्षिदेश और आर्यावर्त आदि नामों से विख्यात उत्तरांचल प्रदेश वेद भूमि है।


  • वैदिक तथा परवर्ती काल में ब्रह्मावर्त पंजाब का वह भाग था जो सरस्वती और दृषद्वती नदियों के मध्य में स्थित था। [1]
  • मेकडानेल्ड के अनुसार दृषद्वती वर्तमान घग्घर या घागरा है। प्राचीन काल में यह यमुना और सरस्वती नदियों के बीच में बहती थी। कालिदास ने मेघदूत में महाभारत की युद्धस्थली- कुरुक्षेत्र को ब्रह्मावर्त में माना है। [2] अगले पद्य 51 में कालिदास ने ब्रह्मावर्त में सरस्वती नदी का वर्णन किया है। यह ब्रह्मावर्त की पश्चिमी सीमा पर बहती थी। किंतु अब यह प्राय: लुप्त हो गई है।
  • बिठूर (ज़िला कानपुर, उ0प्र0) महाभारत में इस स्थान को पुण्यतीर्थों की श्रेणी में माना गया है। [3]

टीका-टिप्पणी

  1. दे0 मनुस्मृति 2,17- 'सरस्वती दृषद्वत्योर्देव, नद्योर्यदन्तराम् तं देवनिर्मितं देशं ब्रह्मावर्त प्रचक्षते'
  2. 'ब्रह्मावर्त जनपदमथश्छाययागाहमान:, क्षेत्रंक्षत्र प्रधनपिशुनं कौरवं तद्भजेथा:' पूर्वमेघ, 50 ।
  3. 'ब्रह्मावर्त ततो गच्छेद् ब्रह्मचारी समाहित:, अश्वमेधमवाप्नोति सोमलोकं च गच्छति'।