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जन्म: [[13 अक्तूबर]], [[1911]] - मृत्यु: [[10 दिसंबर]], [[2001]]
जन्म: [[13 अक्तूबर]], [[1911]] - मृत्यु: [[10 दिसंबर]], [[2001]]


अशोक कुमार [[हिन्दी]] फ़िल्मों के अभिनेता थे। अशोक कुमार को सन [[1999]] में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। हिंदी सिनेमा के युगपुरुष कुमुद कुमार गांगुली उर्फ अशोक कुमार को ऐसे अभिनेता के रुप में याद किया जाता है जिन्होंने उस समय प्रचलित थियेटर शैली को समाप्त कर अभिनय को स्वाभाविकता प्रदान की और छह दशकों तक अपने बेहतरीन काम से सिनेप्रेमियों को रोमांचित किया। दादा मुनी यानी अशोक कुमार का असली नाम कुमुद गांगुली है। अशोक कुमार ने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में अभिनय किया था।
अशोक कुमार [[हिन्दी]] फ़िल्मों के अभिनेता थे। अशोक कुमार को सन [[1999]] में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। हिंदी सिनेमा के युगपुरुष कुमुद कुमार गांगुली उर्फ अशोक कुमार को ऐसे अभिनेता के रुप में याद किया जाता है जिन्होंने उस समय प्रचलित थियेटर शैली को समाप्त कर अभिनय को स्वाभाविकता प्रदान की और छह दशकों तक अपने बेहतरीन काम से सिनेप्रेमियों को रोमांचित किया।<ref name="याहू जागरण1">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_8167.html%3E |title=युगपुरुष थे दादामुनी उर्फ अशोक कुमार |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=याहू जागरण |language=हिन्दी }}</ref> दादा मुनी यानी अशोक कुमार का असली नाम कुमुद गांगुली है। अशोक कुमार ने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में अभिनय किया था।


==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
अशोक कुमार का जन्म [[बिहार]] के [[भागलपुर]] शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार सभी भाई-बहनों में बड़े थे। गायक एवं अभिनेता [[किशोर कुमार]] एवं अभिनेता अनूप कुमार उनके छोटे भाई थे। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा [[मध्यप्रदेश]] के [[खंडवा]] शहर में प्राप्त की थी और बाद मे अशोक कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा [[इलाहाबाद]] विश्वविद्यालय से पूरी की थी। अशोक कुमार ने अभिनय की प्रचलित शैलियों को दरकिनार कर दिया और अपनी स्वाभाविक शैली विकसित की थी। वह कभी भी जोखिम लेने में नहीं घबराए और पहली बार हिंदी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका की थी। अशोक कुमार ने सन [[1934]] मे न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम किया था।  
अशोक कुमार का जन्म [[बिहार]] के [[भागलपुर]] शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार सभी भाई-बहनों में बड़े थे। गायक एवं अभिनेता [[किशोर कुमार]] एवं अभिनेता अनूप कुमार उनके छोटे भाई थे। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा [[मध्यप्रदेश]] के [[खंडवा]] शहर में प्राप्त की थी और बाद मे अशोक कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा [[इलाहाबाद]] विश्वविद्यालय से पूरी की थी। अशोक कुमार ने अभिनय की प्रचलित शैलियों को दरकिनार कर दिया और अपनी स्वाभाविक शैली विकसित की थी। वह कभी भी जोखिम लेने में नहीं घबराए और पहली बार हिंदी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका की थी।<ref name="याहू जागरण1" /> अशोक कुमार ने सन [[1934]] मे न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम किया था।  


अशोक, अनूप और किशोर कुमार ने [[चलती का नाम गाड़ी]] में काम किया। इस कामेडी फ़िल्म में भी अशोक कुमार ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में [[मधुबाला]] ने भी काम किया था। किशोर कुमार ने अपने कई साक्षात्कारों में यह बात स्वीकार की थी कि उन्हें न केवल अभिनय बल्कि गाने की प्रेरणा भी अशोक कुमार से मिली थी क्योंकि अशोक कुमार ने बचपन में उनके भीतर बालगीतों के जरिए गायन के संस्कार डाले थे।  
अशोक, अनूप और किशोर कुमार ने [[चलती का नाम गाड़ी]] में काम किया। इस कामेडी फ़िल्म में भी अशोक कुमार ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में [[मधुबाला]] ने भी काम किया था। किशोर कुमार ने अपने कई साक्षात्कारों में यह बात स्वीकार की थी कि उन्हें न केवल अभिनय बल्कि गाने की प्रेरणा भी अशोक कुमार से मिली थी क्योंकि अशोक कुमार ने बचपन में उनके भीतर बालगीतों के जरिए गायन के संस्कार डाले थे।<ref name="याहू जागरण">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_8250.html%3E |title=सहज अभिनय के पर्याय थे अशोक कुमार |accessmonthday=[[12 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=याहू जागरण |language=हिन्दी }}</ref>


==अभिनय की शुरुआत==
==अभिनय की शुरुआत==
फ़िल्म जगत में दादामुनी के नाम से लोकप्रिय अशोक कुमार के अभिनय सफर की शुरुआत किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं थी। [[1936]] में बांबे टाकीज स्टूडियो की फ़िल्म जीवन नैया के अभिनेता अचानक बीमार हो गए और कंपनी को नए कलाकार की तलाश थी। ऐसी स्थिति में स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय की नजर आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लैबोरेटरी असिस्टेंट अशोक कुमार पर पड़ी और उनसे अभिनय करने का प्रस्ताव दिया था। यहीं से उनके अभिनय का सफर शुरु हो गया। उनकी अगली फ़िल्म अछूत कन्या थी। [[1937]] में प्रदर्शित यह फ़िल्म अछूत में [[देविका रानी]] उनकी नायिका थीं। यह फ़िल्म क़ामयाब रही और उसने दादामुनी को बड़े सितारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया। उस ज़माने के लिहाज़ से यह महत्वपूर्ण फ़िल्म थी और इसी के साथ सामाजिक समस्याओं पर आधारित फ़िल्मों की शुरुआत हुई। देविका रानी के साथ उन्होंने आगे भी कई फ़िल्में की जिनमें इज्जत, सावित्री, निर्मला आदि शामिल हैं। इसके बाद उनकी जोड़ी लीला चिटनिस के साथ बनी।  
फ़िल्म जगत में दादामुनी के नाम से लोकप्रिय अशोक कुमार के अभिनय सफर की शुरुआत किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं थी। [[1936]] में बांबे टाकीज स्टूडियो की फ़िल्म जीवन नैया के अभिनेता अचानक बीमार हो गए और कंपनी को नए कलाकार की तलाश थी। ऐसी स्थिति में स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय की नजर आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लैबोरेटरी असिस्टेंट अशोक कुमार पर पड़ी और उनसे अभिनय करने का प्रस्ताव दिया था। यहीं से उनके अभिनय का सफर शुरु हो गया। उनकी अगली फ़िल्म अछूत कन्या थी। [[1937]] में प्रदर्शित यह फ़िल्म अछूत में [[देविका रानी]] उनकी नायिका थीं। यह फ़िल्म क़ामयाब रही और उसने दादामुनी को बड़े सितारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया। उस ज़माने के लिहाज़ से यह महत्वपूर्ण फ़िल्म थी और इसी के साथ सामाजिक समस्याओं पर आधारित फ़िल्मों की शुरुआत हुई। देविका रानी के साथ उन्होंने आगे भी कई फ़िल्में की जिनमें इज्जत, सावित्री, निर्मला आदि शामिल हैं। इसके बाद उनकी जोड़ी लीला चिटनिस के साथ बनी।<ref name="याहू जागरण1" />
==फ़िल्मों में प्रशंसा==
==फ़िल्मों में प्रशंसा==
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एक स्टार के रूप में अशोक कुमार की छवि [[1943]] में आई किस्मत फ़िल्म से बनी। पर्दे पर सिगरेट का धुंआ उड़ाते अशोक कुमार ने [[राम]] की छवि वाले नायक के उस दौर में इस फ़िल्म के जरिए एंटी हीरो के पात्र को निभाने का जोखिम उठाया। यह जोखिम उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ और इस फ़िल्म ने सफलता के कई कीर्तिमान बनाए। उसी दशक में उनकी एक और फ़िल्म महल आई, जिसमें [[मधुबाला]] थीं। सस्पेंस फ़िल्म महल को भी बेहद क़ामयाबी मिली। बाद के दिनों में जब हिंदी सिनेमा में [[दिलीप कुमार|दिलीप]], देव और राज की तिकड़ी की लोकप्रियता चरम पर थी, उस समय भी उनका अभिनय लोगों के सर चढ़कर बोलता रहा और उनकी फ़िल्में कामयाब होती रहीं। अपने दौर की अन्य अभिनेत्रियों के साथ-साथ अशोक कुमार ने [[मीना कुमारी]] के साथ भी कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें पाकीजा, बहू बेगम, एक ही रास्ता, बंदिश, आरती आदि शामिल हैं। अशोक कुमार के अभिनय की चर्चा उनकी आशीर्वाद फ़िल्म के बिना अधूरी ही रहेगी। इस फ़िल्म में उन्होंने एकदम नए तरह के पात्र को निभाया। इस फ़िल्म में उनका गाया गीता '''रेलगाड़ी रेलगाड़ी..''' काफी लोकप्रिय हुआ था।
एक स्टार के रूप में अशोक कुमार की छवि [[1943]] में आई किस्मत फ़िल्म से बनी। पर्दे पर सिगरेट का धुंआ उड़ाते अशोक कुमार ने [[राम]] की छवि वाले नायक के उस दौर में इस फ़िल्म के जरिए एंटी हीरो के पात्र को निभाने का जोखिम उठाया। यह जोखिम उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ और इस फ़िल्म ने सफलता के कई कीर्तिमान बनाए। उसी दशक में उनकी एक और फ़िल्म महल आई, जिसमें [[मधुबाला]] थीं। सस्पेंस फ़िल्म महल को भी बेहद क़ामयाबी मिली। बाद के दिनों में जब हिंदी सिनेमा में [[दिलीप कुमार|दिलीप]], देव और राज की तिकड़ी की लोकप्रियता चरम पर थी, उस समय भी उनका अभिनय लोगों के सर चढ़कर बोलता रहा और उनकी फ़िल्में कामयाब होती रहीं। अपने दौर की अन्य अभिनेत्रियों के साथ-साथ अशोक कुमार ने [[मीना कुमारी]] के साथ भी कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें पाकीजा, बहू बेगम, एक ही रास्ता, बंदिश, आरती आदि शामिल हैं।<ref name="याहू जागरण" /> अशोक कुमार के अभिनय की चर्चा उनकी आशीर्वाद फ़िल्म के बिना अधूरी ही रहेगी। इस फ़िल्म में उन्होंने एकदम नए तरह के पात्र को निभाया। इस फ़िल्म में उनका गाया गीता '''रेलगाड़ी रेलगाड़ी..''' काफी लोकप्रिय हुआ था।


==चरित्र अभिनेता==
==चरित्र अभिनेता==
अशोक कुमार ने बाद के जीवन में चरित्र अभिनेता की भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थीं। इन भूमिकाओं में भी अशोक कुमार ने जीवंत अभिनय किया। अशोक कुमार गंभीर ही नहीं हास्य अभिनय में भी महारथ रखते थे। विक्टोरिया नंबर 203 फ़िल्म हो या शौकीन, अशोक कुमार ने हर किरदार में कुछ नया पैदा करने का प्रयास किया। उम्र बढ़ने के साथ ही उन्होंने सहायक और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाना शुरु कर दिया लेकिन उनके अभिनय की ताजगी कायम रही। ऐसी फ़िल्मों में कानून, चलती का नाम गाड़ी, छोटी सी बात, मिली, खूबसूरत, गुमराह, एक ही रास्ता, बंदिनी, ममता आदि शामिल हैं। उन्होंने विलेन की भी भूमिका की। [[देव आनंद]] की ज्वैल थीफ में उन्होंने विलेन की भूमिका की थी।
अशोक कुमार ने बाद के जीवन में चरित्र अभिनेता की भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थीं। इन भूमिकाओं में भी अशोक कुमार ने जीवंत अभिनय किया। अशोक कुमार गंभीर ही नहीं हास्य अभिनय में भी महारथ रखते थे। विक्टोरिया नंबर 203 फ़िल्म हो या शौकीन, अशोक कुमार ने हर किरदार में कुछ नया पैदा करने का प्रयास किया। उम्र बढ़ने के साथ ही उन्होंने सहायक और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाना शुरु कर दिया लेकिन उनके अभिनय की ताजगी कायम रही। ऐसी फ़िल्मों में कानून, चलती का नाम गाड़ी, छोटी सी बात, मिली, खूबसूरत, गुमराह, एक ही रास्ता, बंदिनी, ममता आदि शामिल हैं।<ref name="याहू जागरण1" />  उन्होंने विलेन की भी भूमिका की। [[देव आनंद]] की ज्वैल थीफ में उन्होंने विलेन की भूमिका की थी।


==अन्य विशेषता==
==अन्य विशेषता==
'दादामुनी' मतलब बड़े भाई के नाम से मशहूर अशोक कुमार एक बेहतरीन चित्रकार, शतरंज खिलाड़ी, एक होम्योपैथ व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने कई फ़िल्मों में स्वयं गाने भी गाए।  
'दादामुनी' मतलब बड़े भाई के नाम से मशहूर अशोक कुमार एक बेहतरीन चित्रकार, शतरंज खिलाड़ी, एक होम्योपैथ व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने कई फ़िल्मों में स्वयं गाने भी गाए।  
फ़िल्म ही नहीं अशोक कुमार ने टीवी में भी काम किया। भारत के पहले सोप ओपेरा हम लोग में उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई। सूत्रधार के रूप में अशोक कुमार हम लोग के एक अभिन्न अंग बन गए। दर्शक आखिर में की जाने वाली उनकी टिप्पणी का इंतजार करते थे क्योंकि वह टिप्पणी को हर बार अलग तरीके से दोहराते थे। इसके अलावा उन्होंने आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित धारावाहिक में भी बेहतरीन भूमिका की।  
फ़िल्म ही नहीं अशोक कुमार ने टीवी में भी काम किया। भारत के पहले सोप ओपेरा हम लोग में उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई। सूत्रधार के रूप में अशोक कुमार हम लोग के एक अभिन्न अंग बन गए। दर्शक आखिर में की जाने वाली उनकी टिप्पणी का इंतजार करते थे क्योंकि वह टिप्पणी को हर बार अलग तरीके से दोहराते थे। इसके अलावा उन्होंने आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित धारावाहिक में भी बेहतरीन भूमिका की।<ref name="याहू जागरण" />
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
अशोक कुमार को फ़िल्मी सफर में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया और क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित किया।  
अशोक कुमार को फ़िल्मी सफर में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया और क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित किया।  
*सन 1959 में [[संगीत नाटक अकादमी]] पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
{| class="wikitable" border="1" width ="100%"
*सन 1962 में राखी फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
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*सन [[1967]] में अफ़साना फ़िल्म के लिए सहायक अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
! सन
*सन [[1969]] में आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
! पुरस्कार
*सन [[1969]] में आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला था।  
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*सन [[1988 ]] में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
| 1959  
*सन [[1994]] में स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
| [[संगीत नाटक अकादमी]] पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
*सन [[1995]] में फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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*सन [[1999]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया।  
| 1962  
*सन [[2001]] में [[उत्तर प्रदेश]] सरकार द्वारा अवध सम्मान दिया गय।
| राखी फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
*सन [[2007]] में स्टार स्क्रीन की तरफ़ से "विशेष पुरस्कार" पुरस्कार से सम्मान दिया गया।
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| [[1967]]  
| अफ़साना फ़िल्म के लिए सहायक अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
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| [[1969]]  
| आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।  
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| [[1969]]  
| आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला था।  
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| [[1988 ]]  
| दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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| [[1994]]  
| स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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| [[1995]]  
| फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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| [[1999]]  
| [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया।  
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| [[उत्तर प्रदेश]] सरकार द्वारा अवध सम्मान दिया गय।
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| [[2007]]  
| स्टार स्क्रीन की तरफ़ से "विशेष पुरस्कार" पुरस्कार से सम्मान दिया गया।
|}
==मृत्यु==
==मृत्यु==
करने वाले दादामुनी 10 दिसंबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हो लेकिन वह करीब 275 फ़िल्मों की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए दर्शकों को सोचने, गुदगुदाने और रोमांचित करने के लिए पर्याप्त हैं।
करने वाले दादामुनी 10 दिसंबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हो लेकिन वह करीब 275 फ़िल्मों की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए दर्शकों को सोचने, गुदगुदाने और रोमांचित करने के लिए पर्याप्त हैं।<ref name="याहू जागरण1" />
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.imdb.com/name/nm0006369/ अशोक कुमार]
*[http://downloads.movies.indiatimes.com/site/feb2001/tunen2.html फ़िल्मफ़ेयर]

Revision as of 10:14, 12 October 2010

अशोक कुमार

जन्म: 13 अक्तूबर, 1911 - मृत्यु: 10 दिसंबर, 2001

अशोक कुमार हिन्दी फ़िल्मों के अभिनेता थे। अशोक कुमार को सन 1999 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। हिंदी सिनेमा के युगपुरुष कुमुद कुमार गांगुली उर्फ अशोक कुमार को ऐसे अभिनेता के रुप में याद किया जाता है जिन्होंने उस समय प्रचलित थियेटर शैली को समाप्त कर अभिनय को स्वाभाविकता प्रदान की और छह दशकों तक अपने बेहतरीन काम से सिनेप्रेमियों को रोमांचित किया।[1] दादा मुनी यानी अशोक कुमार का असली नाम कुमुद गांगुली है। अशोक कुमार ने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में अभिनय किया था।

जीवन परिचय

अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार सभी भाई-बहनों में बड़े थे। गायक एवं अभिनेता किशोर कुमार एवं अभिनेता अनूप कुमार उनके छोटे भाई थे। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की थी और बाद मे अशोक कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी। अशोक कुमार ने अभिनय की प्रचलित शैलियों को दरकिनार कर दिया और अपनी स्वाभाविक शैली विकसित की थी। वह कभी भी जोखिम लेने में नहीं घबराए और पहली बार हिंदी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका की थी।[1] अशोक कुमार ने सन 1934 मे न्यू थिएटर मे बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट काम किया था।

अशोक, अनूप और किशोर कुमार ने चलती का नाम गाड़ी में काम किया। इस कामेडी फ़िल्म में भी अशोक कुमार ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में मधुबाला ने भी काम किया था। किशोर कुमार ने अपने कई साक्षात्कारों में यह बात स्वीकार की थी कि उन्हें न केवल अभिनय बल्कि गाने की प्रेरणा भी अशोक कुमार से मिली थी क्योंकि अशोक कुमार ने बचपन में उनके भीतर बालगीतों के जरिए गायन के संस्कार डाले थे।[2]

अभिनय की शुरुआत

फ़िल्म जगत में दादामुनी के नाम से लोकप्रिय अशोक कुमार के अभिनय सफर की शुरुआत किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं थी। 1936 में बांबे टाकीज स्टूडियो की फ़िल्म जीवन नैया के अभिनेता अचानक बीमार हो गए और कंपनी को नए कलाकार की तलाश थी। ऐसी स्थिति में स्टूडियो के मालिक हिमांशु राय की नजर आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लैबोरेटरी असिस्टेंट अशोक कुमार पर पड़ी और उनसे अभिनय करने का प्रस्ताव दिया था। यहीं से उनके अभिनय का सफर शुरु हो गया। उनकी अगली फ़िल्म अछूत कन्या थी। 1937 में प्रदर्शित यह फ़िल्म अछूत में देविका रानी उनकी नायिका थीं। यह फ़िल्म क़ामयाब रही और उसने दादामुनी को बड़े सितारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया। उस ज़माने के लिहाज़ से यह महत्वपूर्ण फ़िल्म थी और इसी के साथ सामाजिक समस्याओं पर आधारित फ़िल्मों की शुरुआत हुई। देविका रानी के साथ उन्होंने आगे भी कई फ़िल्में की जिनमें इज्जत, सावित्री, निर्मला आदि शामिल हैं। इसके बाद उनकी जोड़ी लीला चिटनिस के साथ बनी।[1]

फ़िल्मों में प्रशंसा

अशोक कुमार का फ़िल्मी सफ़र
वर्ष फ़िल्म
1936 जीवन नया
जन्मभूमि
अछूत कन्या
1937 सावित्री
प्रेम कहानी
इज़्ज़त
1938 वचन
निर्मला
1939 कंगन
1940 बंधन
आज़ाद
1941 नया संसार
झूला
अंजान
1943 नज़मा
किस्मत
अंगूठी
1944 चल चल रे नौजवान
किरन
1945 हुमायूँ
बेगम
1946 शिकारी
एट डेज़
1947 चन्द्रशेखर
साजन
1948 पदमिनी
1949 महल
1950 आधी रात
संग्राम
मशाल
निशाना
समाधि
खिलाड़ी
1951 दीदार
अफ़साना
1952 पूनम
तमाशा
सलोनी
बेताब
बेवफ़ा
राग रंग
नौ बहार
काफ़िला
जलपरी
1953 शोले
शमशीर
परिनीता
1954 नाज़
समाज
लकीरें
1955 बंदिश
भगवत महिमा
सरदार
1956 इंस्पेक्टर
एक ही रास्ता
शतरंज
भाई भाई
1957 मिस्टर एक्स
उस्ताद
बंदी
तलाश
एक साल
शेरू
1958 सवेरा
चलती का नाम गाड़ी
हावड़ा ब्रिज
सितारों के आगे
रागिनी
कारीगर
फ़रिश्ता
1959 बेदर्द ज़माना क्या जाने
कंगन
नई राहें
डाका
बाप बेटे
धूल का फूल
1960 कल्पना
हौस्पिटल
कानून
काला आदमी
आँचल
मासूम
1961 डार्क स्ट्रीट
वारंट
फ्लैट नम्बर ९
धर्मपुत्र
1962 राखी
नकली नवाब
उम्मीद
प्राइवेट सेक्रेटरी
मेहेंदी लगी मेरे हाथ
इसी का नाम दुनिया
बर्मा रोड
आरती
1963 आज और कल
मेरे महबूब
मेरी सूरत तेरी आँखें
गुमराह
उस्तादों के उस्ताद
ये रास्ते हैं प्यार के
गृहस्थी
बन्दिनी
1964 दूज का चाँद
फूलों की सेज
बेनज़ीर
पूजा के फूल
चित्रलेखा
क्रॉसरोड्स
1965 चाँद और सूरज
बहू बेटी
आकाशदीप
नया कानून
ऊँचे लोग
भीगी रात
आधी रात के बाद
1966 ममता
दादी माँ
ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है
तूफान में प्यार कहाँ
अफ़साना
1967 मेहरबाँ
नई रोशनी
बहू बेगम
ज्वैलथीफ
1968 आबरू
दिल और मोहब्बत
साधू और शैतान
एक कली मुस्काई
आशीर्वाद
1969 आँसू बन गये फूल
दो भाई
पैसा या प्यार
इंतकाम
भाई बहन
प्यार का सपना
आराधना
सत्यकाम
1970 जवाब
शराफ़त
सफ़र
माँ और ममता
पूरब और पश्चिम
1971 अधिकार
नया ज़माना
दूर का राही
पाकीज़ा
कंगन
हम तुम और वो
1972 दिल दौलत दुनिया
राखी और हथकड़ी
रानी मेरा नाम
सा रे गा मा पा
विक्टोरिया नम्बर 203
मालिक
सज़ा
गरम मसाला
ज़मीन आसमान
अनुराग
ज़िन्दगी ज़िन्दगी
1973 हिफ़ाज़त
टैक्सी ड्राइवर
बड़ा कबूतर
दो फूल
धुंध
1974 खून की कीमत
पैसे की गुड़िया
बढ़ती का नाम दाढ़ी
उजाला ही उजाला
प्रेम नगर
दुल्हन
दो आँखें
1975 आक्रमण
एक महल हो सपनों का
चोरी मेरा काम
मिली
छोटी सी बात
उलझन
दफ़ा 302
1976 भँवर
एक से बढ़कर एक
शंकर दादा
संतान
अर्जुन पंडित
आप बीती
रंगीला रतन
बारूद
1977 अनुरोध
ड्रीम गर्ल
आनंद आश्रम
प्रायश्चित
चला मुरारी हीरो बनने
हीरा और पत्थर
मस्तान दादा
आनन्द आश्रम
जादू टोना
सफेद झूठ
1978 खट्टा मीठा
तुम्हारे लिये
अपना कानून
दो मुसाफ़िर
चोर के घर चोर
प्रेमी गंगाराम
अनमोल तस्वीर
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
दिल और दीवार
1979 बगुला भगत
जनता हवलदार
अमर दीप
1980 सौ दिन सास के
जुदाई
खूबसूरत
ज्योति बने ज्वाला
आखिरी इंसाफ
ख़्वाब
साजन मेरे मैं साजन की
आप के दीवाने
टक्कर
नज़राना प्यार का
1981 जय यात्रा
महफ़िल
मान गये उस्ताद
शौकीन
ज्योति
1982 डायल 100
चलती का नाम ज़िन्दगी
संबंध
शक्ति
मेहंदी रंग लायेगी
दर्द का रिश्ता
अनोखा बंधन
1983 महान
काया पलट
लव इन गोआ
हादसा
चोर पुलिस
प्रेम तपस्या
बेकरार
पसन्द अपनी अपनी
तकदीर
1984 दुनिया
फ़रिश्ता
राम तेरा देश
हम लोग
राजा और राना
अकलमंद
गृहस्थी
हम रहे ना हम
1985 एक डाकू शहर में
दुर्गा
फिर आई बरसात
तवायफ़
1986 भीम भवानी
प्यार किया है प्यार करेंगे
दहलीज़
कत्ल
असली नकली
शत्रु
1987 आवाम
हिफ़ाज़त
वो दिन आयेगा
वतन के रखवाले
प्यार की जीत
मिस्टर इण्डिया
जवाब हम देंगे
सुपरमैन
1988 फ़ैसला
भारत एक खोज
इन्तकाम
1989 ममता की छाँव में
क्लर्क
अनजाने रिश्ते
दाना पानी
सच्चाई की ताकत
मज़बूर
1991 मौत की सज़ा
आधि मिमांसा
1992 हमला
1993 आँसू बने अंगारे
1994 यूंही कभी
1995 जमला हो जमला
मेरा दामाद
1996 रिटर्न ऑफ ज्वैलथीफ
दुश्मन दुनिया का
बेकाबू
1997 आँखों में तुम हो

एक स्टार के रूप में अशोक कुमार की छवि 1943 में आई किस्मत फ़िल्म से बनी। पर्दे पर सिगरेट का धुंआ उड़ाते अशोक कुमार ने राम की छवि वाले नायक के उस दौर में इस फ़िल्म के जरिए एंटी हीरो के पात्र को निभाने का जोखिम उठाया। यह जोखिम उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ और इस फ़िल्म ने सफलता के कई कीर्तिमान बनाए। उसी दशक में उनकी एक और फ़िल्म महल आई, जिसमें मधुबाला थीं। सस्पेंस फ़िल्म महल को भी बेहद क़ामयाबी मिली। बाद के दिनों में जब हिंदी सिनेमा में दिलीप, देव और राज की तिकड़ी की लोकप्रियता चरम पर थी, उस समय भी उनका अभिनय लोगों के सर चढ़कर बोलता रहा और उनकी फ़िल्में कामयाब होती रहीं। अपने दौर की अन्य अभिनेत्रियों के साथ-साथ अशोक कुमार ने मीना कुमारी के साथ भी कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें पाकीजा, बहू बेगम, एक ही रास्ता, बंदिश, आरती आदि शामिल हैं।[2] अशोक कुमार के अभिनय की चर्चा उनकी आशीर्वाद फ़िल्म के बिना अधूरी ही रहेगी। इस फ़िल्म में उन्होंने एकदम नए तरह के पात्र को निभाया। इस फ़िल्म में उनका गाया गीता रेलगाड़ी रेलगाड़ी.. काफी लोकप्रिय हुआ था।

चरित्र अभिनेता

अशोक कुमार ने बाद के जीवन में चरित्र अभिनेता की भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थीं। इन भूमिकाओं में भी अशोक कुमार ने जीवंत अभिनय किया। अशोक कुमार गंभीर ही नहीं हास्य अभिनय में भी महारथ रखते थे। विक्टोरिया नंबर 203 फ़िल्म हो या शौकीन, अशोक कुमार ने हर किरदार में कुछ नया पैदा करने का प्रयास किया। उम्र बढ़ने के साथ ही उन्होंने सहायक और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाना शुरु कर दिया लेकिन उनके अभिनय की ताजगी कायम रही। ऐसी फ़िल्मों में कानून, चलती का नाम गाड़ी, छोटी सी बात, मिली, खूबसूरत, गुमराह, एक ही रास्ता, बंदिनी, ममता आदि शामिल हैं।[1] उन्होंने विलेन की भी भूमिका की। देव आनंद की ज्वैल थीफ में उन्होंने विलेन की भूमिका की थी।

अन्य विशेषता

'दादामुनी' मतलब बड़े भाई के नाम से मशहूर अशोक कुमार एक बेहतरीन चित्रकार, शतरंज खिलाड़ी, एक होम्योपैथ व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने कई फ़िल्मों में स्वयं गाने भी गाए। फ़िल्म ही नहीं अशोक कुमार ने टीवी में भी काम किया। भारत के पहले सोप ओपेरा हम लोग में उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई। सूत्रधार के रूप में अशोक कुमार हम लोग के एक अभिन्न अंग बन गए। दर्शक आखिर में की जाने वाली उनकी टिप्पणी का इंतजार करते थे क्योंकि वह टिप्पणी को हर बार अलग तरीके से दोहराते थे। इसके अलावा उन्होंने आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित धारावाहिक में भी बेहतरीन भूमिका की।[2]

पुरस्कार

अशोक कुमार को फ़िल्मी सफर में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया और क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित किया।

सन पुरस्कार
1959 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1962 राखी फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1967 अफ़साना फ़िल्म के लिए सहायक अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1969 आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1969 आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला था।
1988 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1994 स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1995 फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
1999 पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
2001 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवध सम्मान दिया गय।
2007 स्टार स्क्रीन की तरफ़ से "विशेष पुरस्कार" पुरस्कार से सम्मान दिया गया।

मृत्यु

करने वाले दादामुनी 10 दिसंबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हो लेकिन वह करीब 275 फ़िल्मों की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए दर्शकों को सोचने, गुदगुदाने और रोमांचित करने के लिए पर्याप्त हैं।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 युगपुरुष थे दादामुनी उर्फ अशोक कुमार (हिन्दी) (एच टी एम एल) याहू जागरण। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010
  2. 2.0 2.1 2.2 सहज अभिनय के पर्याय थे अशोक कुमार (हिन्दी) (एच टी एम एल) याहू जागरण। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ