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*आर सुआलकूची (रेशम उद्योग के लिए प्रसिद्ध)।
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असम / Assam

  • असम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है।
  • असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है ।
  • असम भारत का एक सरहदी राज्य है ।
  • भारत-भूटान और भारत-बांग्लादेश सरहद कुछ हिस्सों में असम से जुडी है ।

इतिहास और भूगोल

विद्वानों का मत है कि 'असम' शब्‍द संस्‍कृत के 'असोमा' शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ होता है अनुपम या अद्वितीय। किन्तु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्‍द मूल रूप से 'अहोम' से बना है। ब्रिटिश शासन में जब इस राज्य का विलय किया गया उससे पहले लगभग छह सौ वर्ष तक इस राज्य पर 'अहाम' राजाओं का शासन रहा था। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्‍न जातियां प्राचीन समय से इस प्रदेश की पहाडियों और घाटियों में अलग अलग समय पर आकर रहीं और बस गयीं जिसका यहां की मिश्रित संस्‍कृति में बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। इस राज्य के विकास में इन सभी जातियों ने अपना योगदान दिया। इस प्रकार असम राज्य में संस्‍कृति और सभ्‍यता की एक प्राचीन और समृ‍द्ध परंपरा रही है।

प्राचीन समय में यह राज्य 'प्राग्‍ज्‍योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्‍योतिष का स्‍थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम 'कामरूप' पड़ गया। कामरूप राज्‍य का सबसे पुराना उदाहरण इलाहाबाद में समुद्रगुप्‍त के शिलालेख से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो गुप्‍त साम्राज्‍य के अधीन था और गुप्‍त साम्राज्‍य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। चीन के विद्वान यात्री ह्वेनसांग लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्‍कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्‍लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है। 11वीं शताब्‍दी के अरब इतिहासकार अलबरूनी की पुस्‍तक में भी 'कामरूप' का विवरण प्राप्त होता है। इस प्रकार प्राचीन काल से लेकर 12वीं शताब्‍दी ईस्वी तक समस्त आर्यावर्त में पूर्वी सीमांत देश को 'प्राग्‍ज्‍योतिष' और 'कामरूप' के नाम से जाना जाता था और यहां के नरेश स्वयं को 'प्राग्‍ज्‍योतिष नरेश' कहलाया करते थे।

सन 1228 में पूर्वी पहाडियों पर 'अहोम' लोगों के आने से इतिहास में मोड़ आया। उन्‍होंने लगभग छह सौ वर्षों तक असम राज्य पर शासन किया। सन 1826 में यह राज्य ब्रिटिश सरकार के अधिकार में आ गया। इस समय 'बर्मी' लोगों ने 'यंडाबू संधि' को मानकर असम को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया था।

असम पूर्वोत्तर दिशा में भारत का प्रहरी है और पूर्वोत्तर राज्‍यों का प्रवेशद्वार भी है। यह भूटान और बांगला देश से लगी हुई भारत की अंतरराष्‍ट्रीय सीमाओं के पास है। असम की उत्तर दिशा में भूटान और अरुणाचल प्रदेश, पूर्व दिशा में मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश और दक्षिणी दिशा में मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा राज्य हैं।

कृषि

असम राज्य एक कृषि प्रधान राज्‍य है। कृषि यहां की अर्थव्‍यवस्‍था का प्रमुख आधार है। चावल इस राज्य की मुख्‍य खाद्य फसल है और जूट, चाय, कपास, तिलहन, गन्‍ना और आलू आदि यहाँ की नकदी फसलें हैं। राज्‍य की प्रमुख बाग़वानी फसलें संतरा, केला, अनन्‍नास, सुपारी, नारियल, अमरूद, आम, कटहल और नीबू आदि हैं। इन सभी की खेती छोटे स्तर पर की जाती है। इस राज्‍य में लगभग 39.44 लाख हेक्‍टयर भूमि कुल खेती योग्‍य भूमि है। इसमें से करीब 27.01 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में ही खेती की जाती है।

विशेषताएँ

  • असम अपने जीव-जंतुओं और वनस्‍पतियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। वन संपदा कुल क्षेत्रफल का 22.21 प्रतिशत है।
  • राज्‍य में पांच राष्‍ट्रीय पार्क और 11 वन्‍यजीव अभयारण्‍य और पक्षी विहार हैं। काजीरंगा राष्‍ट्रीय उद्यान और मानस बाघ परियोजना (राष्‍ट्रीय उद्यान) 'एक सींग वाले गैंडों' और 'रॉयल बंगाल टाइगर' के लिए पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है।
  • असम में कृषि पर आधारित उद्योगों में चाय का प्रमुख स्‍थान है।
  • राज्‍य में छह औद्योगिक विकास केंद्र हैं।
  • राज्‍य में चार 'तेलशोधक कारखाने' (रिफाइनरी) काम कर रही हैं।
  • कला और हस्‍तशिल्‍प से सम्बंधित कुटीर उद्योगों के लिए असम सदैव विख्‍यात रहा है। हथकरघा, रेशम, बेंत और बांस की वस्‍तुएं, गलीचों की बुनाई, काष्‍ठ शिल्‍प, पीतल आदि धातुओं के शिल्‍प प्रमुख कुटीर उद्योग हैं। असम में विभिन्न प्रकार का रेशम - एंडी, मूँगा, टसर आदि का उत्‍पादन होता है। मूँगा नामक रेशम की किस्‍म का उत्‍पादन विश्‍व भर में सिर्फ असम में ही होता है।
  • नागारिक विमानों की नियमित उड़ानें गोपीनाथ बाड़दोलाई हवाई अड्डा (गुवाहाटी), सलोनीबाड़ी (तेजपुर), मोहनबाड़ी (उत्तरी लखीमपुर), कुंभीरग्राम (सिलचर), और रोवरियाह (जोरहाट) से होती हैं।
  • असम में अनेक रंगारंग त्‍यौहार मनाए जाते हैं। 'बिहू' असम का मुख्‍य पर्व है। यह वर्ष में तीन बार मनाया जाता है- 'रंगाली बिहू' या 'बोहाग बिहू' फसल की बुआई की शुरूआत का प्रतीक है। इसी से नए वर्ष का शुभारंभ भी होता है। 'भोगली बिहू' या 'माघ बिहू' फसल की कटाई का त्‍योहार है और 'काती बिहू' या 'कांगली बिहू' शरद ऋतु का एक मेला है।
  • लगभग सभी त्‍योहार धार्मिक कारणों से मनाए जाते हैं। वैष्‍णव लोग प्रमुख वैष्‍णव संतों की जयंती तथा पुण्‍यतिथि पर भजन गाते हैं और परंपरागत नाट्य शैली में 'भावना' नामक नाटकों का मंचन करते हैं। कामाख्‍या मंदिर में अंबुबाशी और उमानंदा तथा शिव मंदिरों के पास अन्‍य स्‍थानों पर शिवरात्रि मेला, दीपावली, अशोक अष्‍टमी मेला, पौष मेला, परशुराम मेला, अंबुकाशी मेला, दोल-जात्रा, ईद, क्रिसमस और दुर्गा पूजा, आदि धार्मिक त्‍योहार राज्‍य भर में श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं।
  • गुवाहाटी में तथा उसके आसपास प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में कामाख्‍या मंदिर, उमानंदा (मयूरद्वीप), नवग्रह मंदिर वशिष्‍ठ आश्रम, डोलगोबिंद, गांधी मंडप, राज्‍य का चिडियाघर, राज्‍य संग्रहालय, शुक्रेश्‍वर मंदिर, गीता मंदिर, पुरातत्‍व की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण मदन कामदेव मंदिर और सरायघट पुल आदि प्रसिध्द हैं।
  • अन्‍य दर्शनीय स्‍थल हैं -
  • काजीरंगा राट्रीय पार्क (एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध)
  • मानस बाघ परियोजना, पोबीतोरा और ओरंग (वन्‍यजीव उद्यान),
  • शिवसागर (शिव मंदि, रंगघर,कारेंगघर),
  • तेजपुर (भैरवी मंदिर और रमणीक सथान),
  • भलुकपुंग (अंगलिंग), हॉफलांग (स्‍वास्‍थ्‍यप्रद स्थान और जतिंगा पहाडियां),
  • माजुली (विश्‍व का सबसे बड़ा नदी द्वीप),
  • चंदुबी झील (पिकनिक स्‍थल),
  • हाजो (बौद्ध, हिंदू और इस्‍लाम ),
  • बताद्रव (महान वैष्‍णव संत शंकरदेव की जन्‍मभूमि)
  • आर सुआलकूची (रेशम उद्योग के लिए प्रसिद्ध)।

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