सत्याश्रय

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सत्याश्रय (977 से 1008 ई.), तैलप द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बना। उसे 'सत्तिग' अथवा 'सत्तिम' नाम से भी सम्बोधित किया गया है।

  • सत्याश्रय का पहला सैनिक अभियान उत्तरी कोंकण प्रदेश के विरुद्ध था, इसमें वह सफल हुआ।
  • उसके शासन काल की मुख्य घटना चोल राज्य के अधिपति राजराज प्रथम की दिग्विजय है।
  • उसने गुर्जर देश के शासक चामुण्डराज को भी पराजित किया था।
  • सत्याश्रय के काल का सबसे भीषण युद्ध चोल शासक अरुमोलिवर्मन अथवा राजा रामप्रथम के साथ हुआ। इस युद्ध में सत्याश्रय पराजित हुआ।
  • उसने 'आकर्लक चरित्र', 'इरिवेंडंग' एवं 'आहवमल्ल' आदि अनेक विरुद्वों को धारण किया था।
  • सत्याश्रय व्यक्तिगत रूप से जैन धर्म का अनुयायी था।
  • इसका गुरु विमलचन्द्र जैन दर्शन का महान् विद्धान था।
  • सत्याश्रय विद्धानों का संरक्षक भी था। कन्नड़ कवि गदायुद्ध को इसका संरक्षण प्राप्त था।


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