सन्देश रासक -अब्दुल रहमान

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:51, 17 July 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ")
Jump to navigation Jump to search
  • सन्देश रासक अपभ्रंश की रचना है।
  • इस रासो काव्य के रचनाकार 'अब्दुल रहमान' हैं।
  • यह रचना 'मूल स्थान या मुल्तान' के क्षेत्र से सम्बन्धित है।
  • इस रचना की कुल छन्द संख्या 223 है।
  • यह रचना विप्रलम्भ श्रृंगार की है।
  • इसमें विजय नगर की कोई वियोगिनी अपने पति को संदेश भेजने के लिए व्याकुल है, तभी कोई पथिक आ जाता है और वह विरहिणी उसे अपने विरह जनित कष्टों को सुनाते लगती है। जब पथिक उससे पूछता है कि उसका पति किस ॠतु में गया है तो वह उत्तर में ग्रीष्म ॠतु से प्रारम्भ कर विभिन्न ॠतुओं के विरह जनित कष्टों का वर्णन करने लगती है। यह सब सुनकर जब पथिक चलने लगता है, तभी उसका प्रवासी पति आ जाता है।
  • यह रचना सं 1100 वि. के पश्चात की है।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।

सम्बंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः