मंगलसूत्र

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मंगलसूत्र हिन्दू विवाहित स्त्री के सुहाग के प्रतीक के रूप में सबसे चर्चित प्रतीक है। मंगलसूत्र विवाहित स्त्री द्वारा गले में पहनने का आभूषण है, जिस तरह ईसाई धर्म में अंगूठी एक अत्यावश्यक प्रतीक है, ठीक उसी तरह हिन्दू धर्म में 'नेकलेस' यानि मंगलसूत्र विवाहित स्त्री का एक अत्यावश्यक प्रतीक है जो सदियों से प्रयोग में लाया जाता रहा है। भारतीय फिल्मों ने भी इस सुहाग कि निशानी को 'हिट' करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मंगलसूत्र वैवाहिक प्रतीकों में सबसे मत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है, साथ ही ये माना जाता रहा है कि ये दुल्हन के लिए काफी शुभ होता है और उसे बुरी नजर से बचाते हुए उसे भाग्यशाली बनाता है।[1]

इतिहास

'कूर्ग' का वैवाहिक गले का हार काले छोटे दानों से बना होता था जो सोने की कड़ियों से आपस में जुड़े होते थे। एक इसी तरह के नेकलेस मोहनजोदड़ो में भी खुदाई से प्राप्त हुआ है। प्राचीन काल में अष्ठ्मंग्लक माला भी इसी की कड़ी मानी जाती है, जिसमे आठ प्रतीक होते थे और बीच में एक 'लौकेट' हुआ करता था जो साँची के बुद्धिस्ट प्रतीक के रूप में अपनाया गया है।[1]

निर्माण

अपने मूल रूप में 'मंगलसूत्र' या 'करथा मणि' काले धागे में गूथे हुए आठ मोतियों से मिलकर बना होता था जिसमे बीच में एक सोने का 'लोकेट' गोल आकार का स्थित होता था। काले रंग की प्राथमिकता इसमें होने का मतलब ये माना जाता था कि दुल्हन को कोई बुरी नजर न लगे, परन्तु वर्तमान में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ये अलग-अलग शैली में लोकप्रिय हो गया है। [1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 'अंगूठी' का रिश्तों में महत्व (हिंदी) साक्षी की कलम से (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 20 नवम्बर, 2012।

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