वरकला

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वरकला तिरुवनंतपुरम ज़िला, केरल की बाहरी सीमा पर स्थित है। यह एक शांत तथा नीरव बस्ती है। यहाँ पर्यटकों के आकर्षण के कई महत्त्वपूर्ण स्थल हैं।

पर्यटन स्थल

यहाँ के समुद्री तट पर एक शांत रिजॉर्ट है, जहाँ खनिज जल का एक सोता है। यह माना जाता है कि इस तट के जल में डुबकी लगाने से शरीर तथा आत्मा की सारी अशुद्धियाँ दूर हो जाती है। इसलिए इसका नाम 'पापनाशम तट' पड़ा है। यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक दो हज़ार वर्ष पुराना 'जनार्दनस्वामी मंदिर' चट्टान पर बना हुआ है। यहाँ से समुद्र तट के मनोहर दृश्यों का आनन्द लिया जा सकता है। इसके निकट ही एक प्रसिद्ध शिवगिरी मठ भी है, जो हिन्दू समाज सुधारक तथा दार्शनिक श्रीनारायण गुरु (1856-1928) द्वारा स्थापित किया गया था। गुरु जी की समाधि के दर्शन के लिए हर साल शिवगिरी तीर्थयात्रा के मौसम, 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक, में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। नारायण गुरु ने जात-पात में बंटे यहाँ के समाज में 'एक जाति, एक धर्म तथा एक ईश्वर' के मत को चलाया था।

पर्यटक सुविधा

वरकला में पर्यटकों को ठहरने की उत्तम सुविधा उपलब्ध होती हैं। इसके साथ ही यह अपने कई आयुर्वेदिक मसाज केन्द्रों के कारण तेजी से एक लोकप्रिय आरोग्य केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध होता जा रहा है।

कैसे पहुँचें

वरकला तिरुवनंतपुरम से 51 कि.मी. उत्तर तथा इसी ज़िले के कोल्लम से 37 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन वरकला है, जो लगभग 3 कि.मी. दूर है। 'तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा' लगभग 57 कि.मी. की दूरी पर है।


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