तारापथ -सुमित्रानन्दन पंत

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तारापथ छायावादी युग के ख्यातिप्राप्त कवि सुमित्रानन्दन पंत की रचना है। हिन्दी भाषा में रचित यह एक कविता संग्रह है। 'तारापथ' का प्रकाशन 'लोकभारती प्रकाशन' द्वारा किया गया था।

पुस्तक अंश

सुमित्रानन्दन पंत का जन्म अल्मोड़ा की जगत प्रसिद्ध सौन्दर्य स्थली कौसानी में 20 मई सन 1900 ई. को हुआ था। अल्मोड़ा के एक अत्यन्त कुलीन एवं संपन्न परिवार में पन्त जी ने जन्म लिया। उनके पिता पंडित गंगादत्त पंत अल्मोड़ा के अग्रगण्य नागरिक थे। आपकी प्राथमिक शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई थी। बाद में बनारस में इन्ट्रेन्स की परीक्षा पास की और प्रयाग के 'म्योर कॉलेज' में एफ. ए. के छात्र रहे।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के समक्ष 'असहयोग आन्दोलन' के समय शिक्षा-संस्थान छोड़ने की प्रतिज्ञा करने के कारण पंतजी कॉलेज त्याग दिया। इसके बाद फिर कभी उन्होंने विधिवत शिक्षा ग्रहण नहीं की। किन्तु अपनी लगन के कारण आपने अनेक विषयों का और विशेषकर साहित्य का गम्भीर अध्ययन किया। आधुनिक युग की सम्पूर्ण प्रगतियों के संबंध में भी आपका ज्ञान विशेष रूप से प्रौढ़ था। कविता की ओर सुमित्रानन्दन पंत की रुचि जन्म से ही थी। बाल्य-काल से ही आप कविता लिखने लगे थे। किसी-किसी कवि के सम्बन्ध में कहा जाता है कि वह एक ही रात में अथवा एक ही रचना में प्रसिद्ध हो गया। पंतजी के सम्बन्ध में भी यह अक्षरशः सत्य है। आप अपनी पहली ही छपी रचना से हिन्दी के साहित्याकाश में पूर्ण प्रभा से उदित हो गये। इनकी कविता के छन्द, भाषा, भाव और कल्पना ने सबको विमोहित कर लिया था। 'ग्राम्या' और 'गुंजन' पंतजी की सर्वश्रेष्ठ काव्य कृतियाँ हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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